Maharastra :-चंद्रपुर जिला अस्पताल के सामने 41 साल के किशोर नारशेट्टीवार कोरोना से संक्रमित होने के बाद जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। किशोर का घर भी यहीं है, बावजूद इनका इलाज नहीं हो सका, क्योंकि वहां वेंटिलेटर बेड मौजूद नहीं था। उनके बेटे सागर ने बताया कि वह अपने पिता को एंबुलेंस में लेकर दो दिनों से वर्धा और और चंद्रपुर जिले के हर सरकारी और निजी अस्पतालों का चक्कर काट चुके हैं, लेकिन कहीं भी बेड नहीं मिला। बीमार पिता को लेकर वे रात डेढ़ बजे तेलंगाना के मंचेरियाल तक गए। वहां भी उन्हें बेड नहीं मिला। लाचार होकर वापस चंद्रपुर में कोविड अस्पताल के सामने एंबुलेंस खड़ी कर दी।
भरी आंखों और लड़खड़ाते जुबान से सागर कहते हैं कि अब तो एंबुलेंस में रखा ऑक्सीजन भी खत्म हो रहा है.. पापा सांसे गिन रहे हैं.. मैं क्या करूं? इस हालत में घर तो जा नहीं सकता। अच्छा होगा उन्हें बेड दे दो या फिर इंजेक्शन देकर मार दो।
तीन जिलों के चक्कर लगाए तब मिला बेड
चंद्रपुर में पारस जैन के पिता विनोद जैन (52) पिछले चार दिनों से प्राइवेट अस्पताल में भर्ती थे। जिन्हें अब सरकारी अस्पताल लाया गया है। पारस जैन बताते हैं कि कोरोना का नया स्ट्रेन बहुत ही खरतनाक है।
पारस की मां कविता बताती हैं कि उन्होंने पिछले दिनों बेड के लिए नागपुर, यवतमाल, अमरावती तक के जिला अस्पतालों का चक्कर लगाया। नसीब से चंद्रपुर में एक बेड खाली मिल गया। उन्होंने बताया कि चंद्रपुर में कोरोना फैलने के लिए लोग खुद जिम्मेदार हैं।
उम्रदराज मुरलीधर रामचंद्र पिंपलकर शनिवार से चंद्रपुर के अस्पताल के एक कोने में पड़े हुए हैं। यहां उनकी पत्नी एडमिट है। मुरलीधर जहां हमें बैठे मिले, वहां उनकी जरूरत की चीजें भी अलग-अलग थैले में रखी दिखीं।
उन्हें भी लगता है कि जनता कोरोना के नियमों का पालन नहीं कर रही और मास्क नहीं लगा रही है। जिसकी वजह से चंद्रपुर जिले में कोरोना के केस बढ़ रहे हैं।