कार्तिक मास विशेष जानिए आज का पंचाग ,शुभ अशुभ मुहूर्त और,नक्षत्र ,पंडित विजय कुमार जी के साथ

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🌞  सनातन पंचांग 🌞
🌤️ दिनांक – 10 अक्टूबर 2022
🌤️ दिन – सोमवार
🌤️ विक्रम संवत – 2079 (गुजरात-2078)
🌤️ शक संवत -1944
🌤️ अयन – दक्षिणायन
🌤️ ऋतु – शरद ॠतु
🌤️ मास – कार्तिक (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार अश्विन)*
🌤️ पक्ष – कृष्ण
🌤️ तिथि – प्रतिपदा 11अक्टूबर रात्रि 01:38 तक तत्पश्चात द्वितीया
🌤️ नक्षत्र – रेवती शाम 04:02 तक तत्पश्चात अश्र्विनी
🌤️ योग – व्याघात शाम 04:43 तक तत्पश्चात हर्षण
🌤️ राहुकाल – सुबह 08:01 से सुबह 09:29 तक
🌞 सूर्योदय – 06:33
🌦️ सूर्यास्त – 18:17
👉 दिशाशूल – पूर्व दिशा में
🚩 व्रत पर्व विवरण-
🔥 विशेष – प्रतिपदा को कूष्माण्ड(कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌷 कार्तिक मास🌷
🙏🏻 महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 106 के अनुसार “कार्तिकं तु नरो मासं यः कुर्यादेकभोजनम्। शूरश्च बहुभार्यश्च कीर्तिमांश्चैव जायते।।” जो मनुष्य कार्तिक मास में एक समय भोजन करता है, वह शूरबीर, अनेक भार्याओं से संयुक्त और कीर्तिमान होता है।
💥 *कार्तिक में बैंगन और करेला खाना मना बताया गया है .?
🙏🏻 महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 66 जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में अन्न का दान करता है, वह दुर्गम संकट से पार हो जाता है और मरकर अक्षय सुख का भागी होता है ।
🙏🏻 शिवपुराण के अनुसार कार्तिक में गुड़ का दान करने से मधुर भोजन की प्राप्ति होती है।
🌷 स्कंदपुराण वैष्णवखंड के अनुसार- ‘मासानां कार्तिकः श्रेष्ठो देवानां मधुसूदनः। तीर्थ नारायणाख्यं हि त्रितयं दुर्लभं कलौ।’
➡ अर्थात मासों में कार्तिक, देवताओं में भगवान विष्णु और तीर्थों में नारायण तीर्थ बद्रिकाश्रम श्रेष्ठ है। ये तीनों कलियुग में अत्यंत दुर्लभ हैं।*
🌷 स्कंदपुराण वैष्णवखंड के अनुसार- ‘न कार्तिसमो मासो न कृतेन समं युगम्‌। न वेदसदृशं शास्त्रं न तीर्थ गंगया समम्‌।’
➡ *अर्थात कार्तिक के समान दूसरा कोई मास नहीं, सतयुगके समान कोई युग नहीं, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं और गंगाजीके समान कोई तीर्थ नहीं है।*
🙏🏻 *भगवान श्री कृष्ण को वनस्पतियों में तुलसी, पुण्य क्षेत्रों में द्वारिकापुरी, तिथियों में एकादशी और महिनों में कार्तिक विशेष प्रिय है- कृष्णप्रियो हि कार्तिक:, कार्तिक: कृष्णवल्लभ:। इसलिए कार्तिक मास को अत्यंत पवित्र और पुण्यदायक माना गया है।*

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🌷 कार्तिक मास 🌷
➡ 10 अक्टूबर से 08 नवम्बर तक कार्तिक मास है ।
💥 विशेष ~ गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार अभी अश्विन मास है ।
🌷 कार्तिक मास में वर्जित
🙏🏻 ब्रह्माजी ने नारदजी को कहा : ‘कार्तिक मास में चावल, दालें, गाजर, बैंगन, लौकी और बासी अन्न नहीं खाना चाहिए | जिन फलों में बहुत सारे बीज हों उनका भी त्याग करना चाहिए और संसार – व्यवहार न करें |
🌷 कार्तिक मास में विशेष पुण्यदायी
🙏🏻 प्रात: स्नान, दान, जप, व्रत, मौन, देव – दर्शन, गुरु – दर्शन, पूजन का अमिट पुण्य होता है | सवेरे तुलसी का दर्शन भी समस्त पापनाशक है | भूमि पर शयन, ब्रह्मचर्य का पालन, दीपदान, तुलसीबन अथवा तुलसी के पौधे लगाना हितकारी है |
🙏🏻 भगवदगीता का पाठ करना तथा उसके अर्थ में अपने मन को लगाना चाहिए | ब्रह्माजी नारदजी को कहते हैं कि ‘ऐसे व्यक्ति के पुण्यों का वर्णन महिनों तक भी नहीं किया जा सकता |’
🙏🏻 *श्रीविष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करना भी विशेष लाभदायी है | ‘ॐ नमो नारायणाय ‘| इस महामंत्र का जो जितना अधिक जप करें, उसका उतना अधिक मंगल होता है | कम – से – कम १०८ बार तो जप करना ही चाहिए |
🙏🏻 प्रात: उठकर करदर्शन करें | ‘पुरुषार्थ से लक्ष्मी, यश, सफलता तो मिलती है पर परम पुरुषार्थ मेरे नारायण की प्राप्ति में सहायक हो’ – इस भावना से हाथ देखें तो कार्तिक मास में विशेष पुण्यदायी होता है |
🙏🏻 सूर्योदय के पूर्व स्नान अवश्य करें
🙏🏻 जो कार्तिक मास में सूर्योदय के बाद स्नान करता है वह अपने पुण्य क्षय करता है और जो सूर्योदय के पहले स्नान करता है वह अपने रोग और पापों को नष्ट करनेवाला हो जाता है | पूरे कार्तिक मास के स्नान से पापशमन होता है तथा प्रभुप्रीति और सुख – दुःख व अनुकूलता – प्रतिकूलता में सम रहने के सदगुण विकसित होते हैं |
🙏🏻 हम छोटे थे तब की बात है | हमारी माँ कार्तिक मास में सुबह स्नान करती, बहनें भी करतीं, फिर आस – पडोस की माताओं – बहनों के साथ मिल के भजन गातीं | सूर्योदय से पहले स्नान करने से पुण्यदायी ऊर्जा बनती है, पापनाशिनी मति आती है | कार्तिक मास का आप लोग भी फायदा उठाना |
🌷 ३ दिन में पूरे कार्तिक मास के पुण्यों की प्राप्ति
🙏🏻 कार्तिक मास के सभी दिन अगर कोई प्रात: स्नान नहीं कर पाये तो उसे कार्तिक मास के अंतिम ३ दिन – त्रयोदशी, चतुर्दशी और पूर्णिमा को ‘ॐकार’ का जप करते हुए सुबह सूर्योदय से तनिक पहले स्नान कर लेने से महिनेभर के कार्तिक मास के स्नान के पुण्यों की प्राप्ति कही गयी है |