श्री डूंगरगढ़ न्यूज़:- शादियों का सीजन चल रहा है और शहर में चारों तरफ बैंड-बाजा की धूम है। वर पक्ष सज-धज कर बैंड बाजा के साथ बारात लेकर पहुंच रहे हैं, वहीं घराती भी बारातियों की खातिर में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। वधू पक्ष के लोग लाडो की शादी को यादगार बनाने के लिए हर संभव जतन कर रहे हैं। इन सबके बीच सिंजगुरू में एक अनोखी शादी चर्चा का विषय रही।
सिंजगुरू निवासी रामचन्द्र पिलानिया ने बेटे मूलचंद की शादी बिना दहेज कर मिसाल पेश की है। दुल्हन पक्ष से सिर्फ एक रुपए नारियल लेकर पूरी शादी कर समाज में संदेश दिया है। हाल बीकानेर निवासी श्रीराम कुंदन की बेटी मोनिका से 5 फरवरी को मूलचंद की शादी हुई। दुल्हन के पिता ने फेरे की रस्मों के बीच लेनदेन, नकदी सहित सभी रीति-रिवाज पूरे करने की जिद की। दूल्हे के पिता रामचन्द्र पिलानिया ने शादी में हर चीज के लिए साफ मना कर दिया। इसके अलावा बैंडबाजा किराया तक भी दुल्हन पक्ष से नहीं लिया। दूल्हा मूलचंद सरकारी शिक्षक और दुल्हन मोनिका भी शिक्षित है। दूल्हे माता रामप्यारी पिलानिया पूर्व में गांव की सरपंच रह चुकी है।
रामचन्द्र पिलानिया ने बताया कि शादियों में दहेज की कामना रखने वालों को संदेश देने के लिए ये पहल की है। बहू के रूप में कन्या धन की प्राप्ति होने के बाद दहेज कोई मायने नहीं रखता। बदलते दौर में दहेज प्रथा एक बड़ी बुराई है। बेटे मूलचंद ने बताया कि उसे खुशी है कि शादी बिना दहेज हुई। आज देशभर में कहीं न कहीं कन्याओं पर ‘दहेज’ की कामना को लेकर अत्याचार हो रहे हैं, हजारों-लाखों घर यूं ही फिजूल के दिखावे में बर्बाद हो रहे हैं।
घर से ही हो शुरुआत
रामचन्द्र पिलानिया के समधी श्रीराम कुंदन का कहना था कि अपनी हैसियत के अनुसार बेटी को दहेज देने की परम्परा बरसों पुरानी है। दहेज नहीं देने वाले परिवार को समाज में अलग नजरों से देखा जाता है। समधी श्रीराम कुंदन ने कहा कि सब कहते हैं कि दहेज जैसी कुप्रथा खत्म होनी चाहिए, लेकिन इस बात पर अमल कोई नहीं करता। इसकी शुरुआत हमें घर से करनी चाहिए, ताकि दूसरे लोग भी इससे प्रेरणा ले। उनकी बात का मेरे मन मस्तिष्क पर गहरा असर हुआ और मेरा परिवार भी बिना दहेज दिए शादी करने को राजी हो गया।