आज का पंचाग ,शुभ अशुभ मुहूर्त और,नक्षत्र ,पंडित विजय कुमार जी के साथ

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🌞 *~ सनातन पंचांग ~* 🌞

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🌤️ *दिनांक – 13 अक्टूबर 2022*

🌤️ *दिन – गुरुवार*

🌤️ *विक्रम संवत – 2079 (गुजरात-2078)*

🌤️ *शक संवत -1944*

🌤️ *अयन – दक्षिणायन*

🌤️ *ऋतु – शरद ॠतु*

🌤️ *मास – कार्तिक (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार अश्विन)*

🌤️ *पक्ष – कृष्ण*

🌤️ *तिथि – चतुर्थी 14 अक्टूबर रात्रि 03:08 तक तत्पश्चात पंचमी*

🌤️ *नक्षत्र – कृत्तिका शाम 06:41 तक तत्पश्चात रोहिणी*

🌤️ *योग – सिद्धि दोपहर 01:55 तक तत्पश्चात व्यतीपात*

🌤️ *राहुकाल – दोपहर 01:53 से शाम 03:20 तक*

🌞 *सूर्योदय – 06:34*

🌦️ *सूर्यास्त – 18:15*

👉 *दिशाशूल – दक्षिण दिशा में*

🚩 *व्रत पर्व विवरण – संकष्ट चतुर्थी (चंद्रोदय रात्रि 08:42), करवा चौथ, दाशरथी-करक चतुर्थी*

🔥 *विशेष – चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

🌷 *व्यतिपात योग* 🌷

🙏🏻 *व्यतिपात योग की ऐसी महिमा है कि उस समय जप पाठ प्राणायम, माला से जप या मानसिक जप करने से भगवान की और विशेष कर भगवान सूर्यनारायण की प्रसन्नता प्राप्त होती है जप करने वालों को, व्यतिपात योग में जो कुछ भी किया जाता है उसका १ लाख गुना फल मिलता है।*

🙏🏻 *वाराह पुराण में ये बात आती है व्यतिपात योग की।*

🙏🏻 *व्यतिपात योग माने क्या कि देवताओं के गुरु बृहस्पति की धर्मपत्नी तारा पर चन्द्र देव की गलत नजर थी जिसके कारण सूर्य देव अप्रसन्न हुऐ नाराज हुऐ, उन्होनें चन्द्रदेव को समझाया पर चन्द्रदेव ने उनकी बात को अनसुना कर दिया तो सूर्य देव को दुःख हुआ कि मैने इनको सही बात बताई फिर भी ध्यान नही दिया और सूर्यदेव को अपने गुरुदेव की याद आई कि कैसा गुरुदेव के लिये आदर प्रेम श्रद्धा होना चाहिये पर इसको इतना नही थोडा भूल रहा है ये, सूर्यदेव को गुरुदेव की याद आई और आँखों से आँसु बहे वो समय व्यतिपात योग कहलाता है। और उस समय किया हुआ जप, सुमिरन, पाठ, प्रायाणाम, गुरुदर्शन की खूब महिमा बताई है वाराह पुराण में।*

💥 *विशेष ~ 13 अक्टूबर 2022 गुरुवार को दोपहर 01:56 से 14 अक्टूबर, शुक्रवार को दोपहर 01:58 तक व्यतिपात योग है।*

🌷 *विघ्नों और मुसीबते दूर करने के लिए* 🌷

👉 *13 अक्टूबर 2022 गुरुवार को संकष्ट चतुर्थी है (चन्द्रोदय रात्रि 08:42)*

🙏🏻 *शिव पुराण में आता हैं कि हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी ( पूनम के बाद की ) के दिन सुबह में गणपतिजी का पूजन करें और रात को चन्द्रमा में गणपतिजी की भावना करके अर्घ्य दें और ये मंत्र बोलें :*

🌷 *ॐ गं गणपते नमः ।*

🌷 *ॐ सोमाय नमः ।*

🌷 *कोई कष्ट हो तो* 🌷

🙏🏻 *हमारे जीवन में बहुत समस्याएँ आती रहती हैं, मिटती नहीं हैं ।, कभी कोई कष्ट, कभी कोई समस्या | ऐसे लोग शिवपुराण में बताया हुआ एक प्रयोग कर सकते हैं कि, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (मतलब पुर्णिमा के बाद की चतुर्थी ) आती है | उस दिन सुबह छः मंत्र बोलते हुये गणपतिजी को प्रणाम करें कि हमारे घर में ये बार-बार कष्ट और समस्याएं आ रही हैं वो नष्ट हों |*

👉🏻 *छः मंत्र इस प्रकार हैं –*

🌷 *ॐ सुमुखाय नम: : सुंदर मुख वाले; हमारे मुख पर भी सच्ची भक्ति प्रदान सुंदरता रहे ।*

🌷 *ॐ दुर्मुखाय नम: : मतलब भक्त को जब कोई आसुरी प्रवृत्ति वाला सताता है तो… भैरव देख दुष्ट घबराये ।*

🌷 *ॐ मोदाय नम: : मुदित रहने वाले, प्रसन्न रहने वाले । उनका सुमिरन करने वाले भी प्रसन्न हो जायें ।*

🌷 *ॐ प्रमोदाय नम: : प्रमोदाय; दूसरों को भी आनंदित करते हैं । भक्त भी प्रमोदी होता है और अभक्त प्रमादी होता है, आलसी । आलसी आदमी को लक्ष्मी छोड़ कर चली जाती है । और जो प्रमादी न हो, लक्ष्मी स्थायी होती है ।*

🌷 *ॐ अविघ्नाय नम:*

🌷 *ॐ विघ्नकरत्र्येय नम:*