श्री डूंगरगढ़ न्यूज || चक्रासन योग क्या है – (Chakrasana meaning in Hindi )
चक्रासन योग पीठ के बल लेट कर किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण योगाभ्यास है। चक्रासन दो शब्द मिलकर बना है -चक्र का अर्थ पहिया होता है और आसन से मतलब है योग मुद्रा। इस आसन की अंतिम मुद्रा में शरीर पहिये की आकृति का लगता है इसलिए यह नाम दिया गया है। वैसे तो चक्रासन के बहुत सारे लाभ है फिर भी अगर आपको अपनी बुढ़ापे को हो रोकना और जवानी को बरकरार रखना हो तो चक्रासन योग का अभ्यास जरूर करें। इस योगाभ्यास के बाद धनुरासन करनी चाहिए ताकि शरीर संतुलन में बना रहे।
विधि
पीठ के बल लेटकर घुटनों को मोड़ीए। एड़ीयां नितम्बों के समीप लगी हुई हों। दोनों हाथों को उल्टा करके कंधों के पीछे थोड़े अन्तर पर रखें इससे सन्तुलन बना रह्ता है। श्वास अन्दर भरकर कटिप्रदेश एवं छाती को ऊपर उठाइये। धीरे-धीरे हाथ एवं पैरों को समीप लाने का प्रयत्न करें, जिससे शरीर की चक्र जैसी आकृति बन जाए। आसन छोड़ते समय शरीर को ढीला करते हुए भुमि पर टिका दें।
समय
• अपनी क्षमता के अनुसार करें।
• प्रारंभ में 10 सेकंड तक रुके।
• अपनी क्षमता के अनुसार अभ्यास करें।
• 3-4 आवृति करें।
लाभ
रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाकर वृध्दावस्था नहीं आने देता। जठर एवं आंतो को सक्रिय करता है। शरीर में स्फूर्ति, शक्ति एवं तेज की वृध्दि करता है। कटिपीड़ा, श्वास रोग, सिरदर्द, नेत्र विकारों, सर्वाइकल व स्पोंडोलाईटिस में विशेष हितकारी है। हाथ पैरों कि मांसपेशियों को सबल बनाता है। महिलाओं के गर्भाशय के विकारों को दूर करते हैं।
सावधानी
• शरीर में किसी भी प्रकार का कोई ऑपरेशन होने पर योग शिक्षक की देखरेख में ही अभ्यास करें।
• हर्निया की समस्या होने पर इसका अभ्यास न करें।
• खाली पेट ही इसका अभ्यास करें।
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योग गुरु ओम कालवा राजस्थान
संरक्षक
राजस्थान योग शिक्षक संघर्ष समिति
मो. 97994 36775