Last Updated on 27, June 2021 by Sri Dungargarh News
श्रीडूंगरगढ़ न्यूज़ || उद्गीथ प्राणायाम का सीधा संबंध ॐ से होता है। अथार्त उद्गीथ प्राणायाम करते समय ॐ का जाप करना पड़ता है इस प्राणायाम को करने से शारीरिक व् आध्यत्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। यह एक अति सरल प्राणायाम और एक प्रकार का मैडिटेशन अभ्यास है।
विधि:-सबसे पहले किसी समतल और स्वस्छ जमीन पर चटाई या आसन बिछाकर उस पर पद्मासन की अवस्था में बैठ जाएं।
अब नासिका के द्वारा आप गहरी व् लम्बी स्वास लें और स्वास धीरे-धीरे लें।
अब सांस को धीरे–धीरे छोड़ते समय ॐ का उच्चारण करें।
इस प्राणायाम को करते समय श्वास पर ध्यान केन्द्रित करना बहुत जरुरी होता है। क्यूंकि यह प्राणायाम मैडिटेशन या ध्यान से रिलेटिड होता है।
अब इस प्राणायाम को 5-10 मिनट तक करें।
समय अविधि:-अगर आपने ये प्राणायाम करना अभी शुरू ही किया है तो आप इसका अभ्यास आप 8-10 मिनट तक ही करें क्यूंकि इस प्राणायाम की समय अविधि एक साथ नहीं बढ़ानी चाहिए।
सुबह और शाम के समय खाली पेट इस प्राणायाम का अभ्यास करना अधिक फलदायी होता हैं। एक सामान्य व्यक्ति को उद्गीथ प्राणायाम प्राणायाम शुरुआत में तीन से पांच बार करना चाहिए। कुछ समय तक निरंतर अभ्यास करते रहने के बाद इसे बढ़ा देना चाहिए।
लाभ-
1. स्मरण शक्ति : उद्गीथ प्राणायाम के नियमित अभ्यास से स्मरण शक्ति बढ़ने लगती है।
2. मन व् दिमाग को करे शांत : उद्गीथ प्राणायाम के नियमित अभ्यास से मानसिक तनाव दूर होकर मन व् मस्तिष्क शांत होता है।
3. नीद से निजात : इस प्राणायाम को करने से नीद अच्छी आती है और अच्छी नींद आना आवश्यक होता है क्योंकि इससे थकान दूर होकर शरीर ऊर्जा , शक्ति और ताकत से भर जाता है।
4. उच्च रक्तचाप में : उद्गीथ प्राणायाम का नियमित अभ्यास उच्च रक्त ताप में लाभदायक होता है।
5. नर्वस सिस्टम : इस प्राणायाम का अभ्यास नर्वस सिस्टम से संबंधित सभी समस्याओ को दूर करता है।
6. कब्ज व् एसिडिटी : इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से कब्ज व् एसिडिटी से मुक्ति पायी जा सकती है।
7. सकारात्मक सोच : इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से हम अपनी स्मरणशक्ति व् सकारात्मक सोच बढ़ा सकते हैं।
8. एकाग्रता को बढाता है : इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से मन और मस्तिषक की एकाग्रता बढती है।
9. गर्भवती महिलाओ के लिए : इस प्राणायाम के अभ्यास से गर्भवती महिलाओ को बहुत फायदा होता है, इससे सामान्य डिलीवरी से बच्चा पैदा होता है।
सावधानी
यह प्राणायाम सुबह-सुबह खाली पेट करना चाहिए ।
शोर-शराबे वाली जगह पर उद्गीत प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
योग अभ्यास और आपके खाने के बीच का अंतराल कम से कम 5 घंटो का होना चाहिये।
“ॐ कार” की शक्ति पर शंका करने से भी उद्गीत प्राणायाम का फल प्राप्त नहीं होता है।
इस प्राणायाम में श्वास लेने और छोड़ने का समय ज्यादा होना बहुत जरुरी है।
योग गुरु ओम कालवा
संरक्षक
राजस्थान योग शिक्षक संघर्ष समिति
M9b.9799436775
जानिए भ्रामरी प्राणायाम करने का सही तरीका फायदे और सावधानियां योग गुरु ओम कालवा के साथ