बीकानेर के पूर्व विधायक गोपाल जोशी गुरुवार सुबह पंचतत्व में विलीन हो गए। पांच दशक तक बीकानेर की राजनीति में सक्रिय रहने वाले जोशी को उनके बेटे गोकुल जोशी सहित पोतों ने मुखाग्नि दी तो परिजनों की आंखों से अश्रुधारा बह पड़ी। कोरोना वायरस से संक्रमित जोशी का बुधवार को जयपुर के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया था। जोशी को बीकानेर में “बाऊसा” नाम से ही संबोधित किया जाता था।
बीकानेर के पूर्व विधायक गोपाल जोशी का बुधवार रात जयपुर के निजी अस्पताल में निधन हो गया। वे 88 साल के थे। जोशी वर्ष 2008 और वर्ष 2013 के चुनाव में जीते थे जबकि 2018 के चुनाव में हार गए थे।
गत 18 अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव आने के बाद उन्हें जयपुर के साकेत अस्पताल में भर्ती किया गया था। जहां उन्होंने आज रात करीब 9.30 बजे दम तोड़ दिया। जोशी के साथ उनके परिजन भी जयपुर ही थे। दो दिन पहले उनकी तबियत कुछ सुधार पर थी लेकिन अचानक फिर बिगड़ने से उन्होंने दम तोड़ दिया।
तीन बार रहे विधायक, एक बार नगर परिषद चैयरमेन भी
गोपाल जोशी वर्ष 1972 में भी बीकानेर के विधायक रहे थे। इसके बाद वर्ष 2008 व 2013 में विधायक रहे। जोशी वर्ष 1970 में नगर परिषद के चैयरमेन भी रहे थे। वर्ष 2008 का चुनाव भाजपा से लड़ने से पहले वो कांग्रेस में ही थे। हालांकि इससे पहले एक चुनाव लूणकरनसर से सामाजिक न्याय मंच से भी लड़े थे। इस चुनाव में भी उन्होंने लूणकरनसर प्रभावी उपस्थिति दिखाई।
सबसे धनवान प्रत्याशी थे जोशी
वर्ष 2008 के चुनाव में गोपाल जोशी सबसे ज्यादा सम्पत्ति घोषित करने वाले प्रत्याशियों में शामिल थे। बीकानेर में होटल जोशी के मालिक गोपाल जोशी ने युवा काल से ही राजनीति शुरू कर दी थी। वो बीकानेर में कांग्रेस को स्थापित करने वाले नेताओं में थे। बाद में टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर भाजपा ज्वाइन कर ली। इसके बाद से भाजपा के ही होकर रह गए।
कल्ला को देा बार हराया था
ऊर्जा मंत्री डॉ बी डी कल्ला को जोशी ने पिछले दो चुनाव में हराया था लेकिन तीसरे अंतिम चुनाव में वे हार गए। दरअसल वे चुनाव लड़ना ही नहीं चाहते थे लेकिन वसुंधरा राजे ने उनको ही टिकट दिया। इस उम्र में भी वो कुछ हजार वोट से ही हारे। खास बात ये है कि वो डॉ कल्ला के रिश्ते में बहनोई लगते थे।