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श्री डूंगरगढ़ न्यूज़।।विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित वेबिनार को संबोधित किया।बाल श्रम एक कलंक है, जो बच्चों से उनका बचपन छीन लेता है। हमें इस समस्या की जड़ तक पहुँच कर इसका उन्मूलन करना होगा। राज्य सरकार बाल श्रम रोकने एवं बाल श्रमिकों के पुनर्वास में राजस्थान को मॉडल स्टेट बनाने की दिशा में प्रयासरत है। प्रदेश में बाल श्रम रोकथाम के लिए एक हाई पावर कमेटी बनाई जाएगी, जिसमें विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा।
बाल श्रम की रोकथाम के लिए समय-समय पर अभियान चलाए जाते हैं, लेकिन इन अभियानों के साथ-साथ हमें बाल श्रम रोकने के लिए हमें कानूनों की कठोरता से पालना करानी होगी। ताकि आर्थिक रूप से कमजोर परिवार अपने बच्चों को बाल श्रम के लिए भेजने को मजबूर न हों। जो परिवार किसी मजबूरी के कारण अपने 18 वर्ष से कम के बच्चों को काम करने के लिए भेजते हैं, उन परिवारों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए प्रयास हों।
बाल अधिकारों के संरक्षण एवं बाल श्रम की रोकथाम के लिए राज्य सरकार ने कई कदम उठाए हैं। इस दिशा में काम कर रहे एनजीओ एवं स्वयं सेवी संस्थाओं को भी राज्य सरकार की ओर से पूरा सहयोग दिया जा रहा है। फील्ड में जाकर बाल श्रमिकों को छुड़ाने, बाल शोषण एवं उनकी तस्करी रोकने का कार्य करने वाले एनजीओ को पुलिस संरक्षण मिलना चाहिए, ताकि वे निश्चिंत होकर कार्य कर सकें। कोविड-19 महामारी के कारण अनाथ हुए बच्चों के लिए राज्य सरकार ने विशेष पैकेज जारी किया है। ऐसे बच्चों की प्रभावी मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए, ताकि उन्हें भी कहीं बाल श्रम में नहीं झोंक दिया जाए।
प्रदेश के हर बच्चे को बेहतर शिक्षा एवं स्वास्थ्य उपलब्ध हो इसके लिए राज्य सरकार ने 100 करोड़ रूपए का ‘नेहरू बाल संरक्षण कोष‘ बनाया है। इस कोष के तहत बच्चों के पालन-पोषण के लिए वात्सल्य योजना एवं बाद में उनकी देखरेख के लिए समर्थ योजना लागू की गई है।
बाल श्रम की रोकथाम एवं छुड़ाए गए बाल श्रमिकों के पुनर्वास की दिशा में किए गए उल्लेखनीय कार्यों के लिए नोबल पुरस्कार विजेता एवं बचपन बचाओ आंदोलन के संस्थापक श्री कैलाश सत्यार्थी को साधुवाद दिया।
वेबीनार के मुख्य वक्ता नोबेल शांति पुरस्कार विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि बाल श्रम मानवता और मानव अधिकारों का मुद्दा है। बाल श्रम से एक भी बच्चे का बचपन बर्बाद हो और वह शिक्षा के अधिकार से वंचित हो तो हम सभी को इस विषय में गहराई से सोचने की जरूरत है। बच्चों को बाल श्रम से मुक्त नहीं कराते हैं तो हम उन्हें उनके मौलिक अधिकारों से वंचित करने के साथ अपनी जिम्मेदारी भी नहीं निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बाल श्रम की रोकथाम एवं बाल श्रमिकों के पुनर्वास पर राजस्थान में अच्छे कार्य हुए हैं। उन्होंने बाल श्रमिकों के पुनर्वास पर प्रभावी अमल के लिए उनके संगठन बचपन बचाओ आंदोलन की ओर से पूरा सहयोग देने का भरोसा दिलाया।
राज्यमंत्री श्रम एवं नियोजन श्री टीकाराम जूली ने श्रम विभाग द्वारा बाल श्रम रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने बाल श्रम कराने वाले कारखानों पर सख्ती की आवश्यकता पर बल दिया। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री श्री राजेंद्र यादव ने बताया कि बच्चों के पुनर्वास की दिशा में अभिनव पहल करते हुए सभी जिला मुख्यालयों पर गोरा धाय ग्रुप फॉस्टर केयर का संचालन किया जा रहा है। अनाथ बच्चों के पारिवारिक पुनर्वास के लिए सभी जिलों में विशेषज्ञ दत्तक ग्रहण एजेंसियां काम कर रही हैं।
राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष श्रीमती संगीता बेनीवाल ने बताया कि बच्चों से जुड़ी शिकायतें मिलने पर आयोग ने कई मामलों में प्रभावी कदम उठाते हुए बच्चों को उनका हक दिलाया है। उन्होंने बताया कि बाल श्रमिकों एवं अन्य उपेक्षित बच्चों के लिए प्रदेश में बाल देखरेख संस्थानों का संचालन किया जा रहा है।
मुख्य सचिव श्री निरंजन आर्य ने कहा कि बच्चों को उनके सपने पूरे करने का अवसर मिले, यह हम सभी की जिम्मेदारी है। राज्य सरकार ने प्रदेश में बाल श्रम की रोकथाम के लिए आवश्यक मैकेनिज्म बनाया है। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक श्री राजीव शर्मा ने बताया कि प्रत्येक पुलिस जिले में मानव तस्करी विरोधी यूनिट स्थापित की गई है। अभियान चलाकर बाल श्रम करते पाए गए बच्चों को मुक्त कराया गया है।
शासन सचिव सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता डॉ. समित शर्मा ने विभाग द्वारा तैयार योजनाओं एवं किए गए प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने कोविड-19 महामारी में अनाथ हुए बच्चों के लिए तैयार पैकेज का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया। शासन सचिव श्रम विभाग श्री नीरज के पवन ने बताया कि बाल श्रम को रोकने के लिए विभिन्न उद्योग, संगठनों के प्रतिनिधियों से लगातार चर्चा की जा रही है।
वेबीनार में राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य, जिला कलेक्टर, एसपी, मानव तस्करी विरोधी इकाइयों के प्रभारी अधिकारी, श्रम कल्याण एवं सामाजिक न्याय विभाग के अधिकारी, बाल कल्याण समितियों एवं किशोर न्याय बोर्डों के सदस्य भी वीसी से जुड़े रहे।