60 वर्षीय वृद्धा के साथ दुष्कर्म व हत्या करने के 19 साल के आरोपी को 74 दिन में मिला मृत्युदंड

पीलीबंगा के दुलमाना में 15 सितंबर की रात्रि काे हुई थी वारदात, महज 7 दिन में किया था चालान
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Last Updated on 1, December 2021 by Sri Dungargarh News

पीलीबंगा थाना क्षेत्र के गांव दुलमाना में दो माह पहले 60 वर्षीय वृद्धा से दुष्कर्म कर हत्या के अभियुक्त को दोषसिद्ध होने पर जिला एवं सेशन न्यायाधीश संजीव मागो ने सोमवार को फांसी की सजा सुनाई। इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली इस घटना को लेकर जिला न्यायाधीश ने सख्त टिप्पणी की कि अभियुक्त सुरेंद्र कुमार मांडिया सभ्य समाज के लिए गंभीर खतरा है और ऐसे व्यक्ति सभ्य समाज में रहने लायक नहीं। पुलिस ने इस वारदात में त्वरित कार्रवाई करते हुए महज 7 दिन में आरोपी के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया था, जिस पर फास्ट ट्रेक ट्रायल शुरू कर अपराध घटित होने के 74वें दिन कोर्ट ने फैसला सुनाया।

कोर्ट की टिप्पणी- मानसिकता प्रकट करती है कि आरोपी कितना निर्मम और दुर्दांत है

60 वर्षीय वृद्ध एवं विधवा महिला जिसके कोई औलाद नहीं थी, जो अकेली अपने घर में निवास करती थी, के साथ 18-19 वर्ष के अभियुक्त सुरेंद्र कुमार उर्फ मांडिया द्वारा रात्रि के समय घर में घुसकर जबरन दुष्कर्म किया गया। पीड़िता ने दुष्कर्म से बचने के लिए अभियुक्त के साथ संघर्ष किया गया, जिस पर अभियुक्त ने उसकी अमानवीय तरीके से गला दबाकर हत्या कर दी गई। अभियुक्त द्वारा वृद्धा के साथ दुष्कर्म के बाद निर्मम हत्या उसकी मानसिकता को प्रकट करती है कि वह कितना निर्मम और दुर्दांत है।

अभियुक्त सुरेंद्र उर्फ मांडिया का यह कृत्य अमानवीय प्रकृति का है और ऐसे व्यक्ति सभ्य समाज के लिए गंभीर खतरा है तथा ऐसे व्यक्ति समाज में रहने के लायक नहीं होते हैं। वर्तमान दंड व्यवस्था के तहत आजीवन कारावास साधारण नियम तथा मृत्यु दंड अपवाद है। इस न्यायालय के विनम्र मत में जहां अभियुक्त द्वारा निर्ममता तरीके से अपराध को अंजाम दिया जाता है, तो यह एक दुर्लभतम मामला हो सकता है। न्यायालय का यह कर्तव्य है कि अपराधी को उसके किए गए कृत्यों के लिए समुचित दंड दे ताकि आमजन की न्याय व्यवस्था के प्रति विश्वास कायम रह सके। अत: इस मामले के सभी तथ्यों, परिस्थितियों, अपराध की गंभीरता को मध्यनजर रखते हुए अभियुक्त को दंडित किया जाना न्यायोचित है। -संजीव मागो, सेशन न्यायाधीश, हनुमानगढ़

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सजा- फांसी लगाकर तब तक लटकाया जाए, जब तक उसकी मृत्यु नहीं हो जाए

आईपीसी की धारा- 450 के तहत तीन वर्ष का साधारण कारावास व 10 हजार रुपए जुर्माना। धारा- 376 के तहत आजीवन कारावास व 10 हजार रुपए जुर्माना। धारा-302 के तहत फांसी लगाकर तब तक लटकाया जाए, जब तक की उसकी मृत्यु नहीं हो जाए। इसी धारा में 10 हजार रुपए जुर्माना भी लगाया।

यह है मामला: प्रकरण के अनुसार, गत 15 सितंबर को बनवारीलाल ने मुकदमा दर्ज करवाया कि उसके घर के पीछे उसकी भाभी सुनीता उर्फ गुड्डीदेवी का मकान है। उसके भाई राजाराम का 3 वर्ष पूर्व देहांत हो चुका है। 15 सितंबर की रात्रि 10:30 बजे उसके घर आकर भाभी ने बताया कि सुरेंद्र कुमार मांडिया बुरी नीयत से घर में घुस आया और उसके साथ छेडछाड़ करने लगा।

धमकाया तो उसका फोन साथ ले गया। जिस पर उसने अपनी भाभी से कहा कि सुबह उससे बात करेंगे। आप यहां सो जाओ, रात बहुत हो चुकी है। भाभी बोली कि घर पर पशु बंधे हुए हैं, इसलिए मैं घर पर ही सोऊंगी। इसके बाद रात करीब एक बजे राजाराम पुत्र रूपराम मेघवाल ने उसके घर आकर बताया कि सुरेंद्र उर्फ मांडिया शराब के नशे में उसके पास आया था। उसने बताया कि सुनीता उर्फ गुड्डीदेवी को गला दबाकर मार दिया है।

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