हाई ब्लड शुगर और टाइप 2 डायबिटीज के इलाज में बेहद मददगार है अच्छी व सुकून भरी नींद

हाई ब्लड शुगर और टाइप 2 डायबिटीज के इलाज में बेहद मददगार है अच्छी व सुकून भरी नींद
हाई ब्लड शुगर और टाइप 2 डायबिटीज के इलाज में बेहद मददगार है अच्छी व सुकून भरी नींद
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Last Updated on 11, July 2023 by Malaram Raika

श्री डूंगरगढ़ न्यूज : ऐसा माना जाता है कि अच्छी नींद न आना कई बीमारियों को न्योता दे सकता है। इसलिए लोगों को पर्याप्त नींद लेने की सलाह दी जाती है। एक शोध में सामने आया है कि गहरी नींद के दौरान इंसुलिन के प्रति मानव शरीर की प्रतिक्रिया बढ़ जाती है, जिससे अगले दिन ब्लड शुगर में सुधार होता है।

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में अमेरिकी शोधकर्ताओं ने इसके लिए 600 लोगों की नींद के आंकड़ों का विश्लेषण किया। इसमें पाया गया कि गहरी नींद शरीर के पैरासिंपेथेटिक तंत्रिका तंत्र को सक्रिय कर देता है। यह तंत्र हमारे शरीर को निरंतर संतुलन में बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होता है। शोधकर्ताओं ने इसमें शामिल लोगों के हृदय की गति में परिवर्तन को मापकर इस बदलाव का पता लगाया।

उन्होंने पाया कि इस स्थिति में इंसुलिन के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया बढ़ जाती है। यह कोशिकाओं को रक्तप्रवाह से ग्लूकोज को अवशोषित करने का निर्देश देता है और इस प्रकार हानिकारक ब्लड शुगर को बढ़ने से रोकता है। उनका शोध जर्नल सेल रिपोर्ट्स मेडिसिन में प्रकाशित किया गया है। शोधकर्ताओं ने कहा है कि बदलती जीवनशैली में अच्छी नींद का उपयोग हाई ब्लड शुगर और टाइप 2 डायबिटीज के उपचार में किया जा सकता है। वैसे भी कहा जाता है कि शारीरिक श्रम सेहत के अच्छा होता है और खास बात यह है कि उसके बाद नींद भी अच्छी आती है।

फिजिकल एक्टिविटी से बढ़ती है बुजुर्गों की जीवन गुणवत्ता

शोधकर्ताओं ने साठ साल से ज्यादा उम्र के लोगों में शारीरिक सक्रियता (व्यायाम) में कमी और जीवन की निम्न गुणवत्ता के बीच एक संबंध पाया है। टीवी देखने जैसी गतिहीन गतिविधियों में वृद्धि के लिए यही सच है। शारीरिक गतिविधि से हृदय रोग, स्ट्रोक, डायबिटीज व कैंसर सहित कई बीमारियों के विकसित होने का जोखिम कम होता है। अधिक सक्रिय रहने से जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है। यह शोध हेल्थ एंड क्वालिटी आफ लाइफ आउटकम्स जर्नल में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं के अनुसार, यह अध्ययन वृद्ध व्यक्तियों को सक्रिय रहने के लिए प्रेरित करता है। नेशनल हेल्थ सर्विस के अनुसार, वयस्कों को हर हफ्ते कम से कम 150 मिनट की मध्यम तीव्रता वाला व्यायाम या 75 मिनट का ज्यादा परिश्रम वाला व्यायाम करना चाहिए।

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कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के डा. धरनी येराकाल्वा के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की टीम ने एक्सेलेरोमीटर का उपयोग करके 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 1,433 प्रतिभागियों के बीच गतिविधि स्तर की जांच की। प्रतिभागियों को यूरोपियन प्रास्पेक्टिव इन्वेस्टिगेशन इन टू कैंसर-नारफाक अध्ययन में शामिल किया गया था। इनके स्वास्थ्य संबंधी गुणवत्ता की जांच में दर्द, खुद को संभालने की क्षमता व अवसाद आदि शामिल थे। प्रश्नावली के आधार पर जीवन की खराब गुणवत्ता के लिए शून्य व अच्छी गुणवत्ता के लिए एक अंक दिया गया। पाया कि जीवन की खराब गुणवत्ता वाले लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की ज्यादा जरूरत पड़ी।

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