श्री डूंगरगढ़ न्यूज || शीर्षासन को सभी योगआसनो का राजा कहा जाता है। इस हेडस्टैंड योग मुद्रा में, शरीर उलटा रहता है और शरीर के वजन को अग्र भुजाओं पर संतुलित किया जाता है, जबकि सिर आराम से जमीन पर होता है।
विधि :-
शीर्षासन करने के लिए के सबसे पहले समतल स्थान पर कंबल आदि बिछाकर वज्रासन की अवस्था में बैठ जाएं। अब आगे की ओर झुककर दोनों हाथों की कोहनियों को जमीन पर टिका दें। दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में जोड़ लें। अब सिर को दोनों हथेलियों के मध्य धीरे-धीरे रखें। सांस सामान्य रखें। सिर को जमीन पर टिकाने के बाद धीरे-धीरे शरीर का पूरा वजन सिर छोड़ते हुए शरीर को ऊपर की उठाना शुरू करें। शरीर का भार सिर पर लें। शरीर को सीधा कर लें। बस यही अवस्था को शीर्षासन कहा जाता है। यह आसन सिर के बल किया जाता है इसलिए इसे शीर्षासन कहते हैं।
लाभ:-
शीर्षासन से हमारा पाचनतंत्र स्वस्थ रहता है। इससे मस्तिष्क का रक्त संचार बढ़ता है, जिससे की स्मरण शक्ति काफी अधिक बढ़ जाती है। हिस्टिरिया एवं अंडकोष वृद्धि, हर्निया, कब्ज आदि रोगों को दूर करता है। असमय बालों का झडऩा एवं सफेद होना दूर करता है। इस आसन से हमारा पूरे शरीर की मांसपेशियां सक्रिय हो जाती है। इस आसन से शारीरिक बल मिलता है। आत्मविश्वास बढ़ता है और किसी भी प्रकार का डर मन से निकल जाता है। थायराइड ग्रंथि में सुधार होता है और थायराइड के मरीजों को इससे लाभ होता है
सावधानियां:-
यदि आप पूर्णत: स्वस्थ नहीं है तो इस आसन के अभ्यास से पूर्व किसी योग शिक्षक से परामर्श अवश्य करें। जिस व्यक्ति ब्लड प्रेशर की शिकायत है वह इस आसन को हरगिज ना करें। आंखों से संबंधित कोई बीमारी हो, तब भी इस आसन को नहीं करना चाहिए। गर्दन में कोई समस्या हो तो भी इस आसन को न करें।
जानिए वृक्षासन योग करने का सही तरीका फायदे और सावधानियां योग गुरु ओम कालवा के साथ