Sridungargarh News : Lung Fibrosis: धूल-मिट्टी और प्रदूषण का हमारी सेहत पर गहरा असर पड़ता है। तेजी से बदलती लाइफस्टाइल और हमारी कुछ आदतों की वजह हम अक्सर कई समस्याओं का शिकार हो जाते हैं। हमारे शरीर में कई सारे अंग मौजूद हैं, जो विभिन्न कार्यों में अहम भूमिका निभाते हैं।
लंग्स इन्हीं अंगों में से एक है, जो हमारे लिए बेहद जरूरी है। ऐसे में इसकी सेहत का ख्याल रखना भी काफी जरूरी है। हालांकि, कई बार हमारी कुछ आदतों और बढ़ते प्रदूषण की वजह से हमारे लंग्स डैमेज होने लगते हैं और कई बीमारियों का शिकार हो जाते हैं।
पल्मोनरी फाइब्रोसिस इन्हीं बीमारियों में से एक है, जिसे आम भाषा लंग्स फाइब्रोसिस भी कहा जाता है। यह फेफड़ों से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। आइए जानते हैं इस बीमारी से बारे में यह सब जो जानना जरूरी है।
क्या है पल्मोनरी फाइब्रोसिस
पल्मोनरी फाइब्रोसिस फेफड़ों की एक बीमारी है, जिसमें लंग्स के टिशूज डैमेज और घायल हो जाते हैं। इस बीमारी की वजह से फेफड़ों के टिशूज हल्के मोटे और कठोर हो जाते हैं, जिसकी वजह से रेस्पिरेटरी सिस्टम प्रभावित होता है और सांस लेने में दिक्कत होने लगती है और फेफड़ों के लिए ठीक से काम करना अधिक कठिन हो जाता है।
पल्मोनरी फाइब्रोसिस के लक्षण
पल्मोनरी फाइब्रोसिस होने पर व्यक्ति में निम्न लक्षण नजर आते हैं-
- सांस की तकलीफ (डिस्पेनिया)
- सूखी खांसी
- थकान
- अचानक वजन घटना
- मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना
- हाथ-पैर की उंगलियों का कांपना
पल्मोनरी फाइब्रोसिस के कारण
पल्मोनरी फाइब्रोसिस होने के कई गंभीर कारण हो सकते हैं। इसके कुछ मुख्य कारण निम्न हैं।
- बढ़ती उम्रः कई लोग बढ़ती उम्र की वजह से इस बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। ज्यादातर मामलों में लोगों में 50 से 70 साल की आयु के बीच वह बीमारी विकसित होते हैं।
- लिंग आधारितः महिलाओं की तुलना में पल्मोनरी फाइब्रोसिस पुरुषों को ज्यादा प्रभावित करता है। हालांकि, बीते कुछ समय में महिलाओं में भी इसके मामले बढ़े हैं।
- धूम्रपान: धूम्रपान भी पल्मोनरी फाइब्रोसिस का एक प्रमुख कारण है। अगर आप सिगरेट पीते हैं, तो पल्मोनरी फाइब्रोसिस होने का खतरा बढ़ जाता है।
- धूल या धुएं के संपर्क में रहनाः ऐसे में लोग नियमित रूप से रसायनों या खतरनाक पदार्थों के संपर्क में रहते हैं या ऐसी जगह काम करते हैं, तो इससे फेफड़ों को नुकसान पहुंच सकता है। किसानों, पशुपालकों, नाई, पत्थर काटने वालों/पालिश करने वालों और धूल या धुएं वाली जगह पर काम करने वाले मजदूर इन लोगों में शामिल हैं।
- अन्य मेडिकल कंडीशनः इन सबके अलावा कुछ ऐसी मेडिकल कंडीशन्स भी हैं, जो पल्मोनरी फाइब्रोसिस की वजह बन सकती हैं। इसमें ऑटोइम्यून रोग रुमेटीइड गठिया या वायरल संक्रमण शामिल है।
- अन्य कारक: कैंसर के इलाज के लिए रेडिएशन थैरेपी भी लंग्स के टिशूज को नुकसान पहुंचा सकती है। इसके अलावा कीमोथेरेपी और कुछ दिल से जुड़ी बीमारियों की दवाओं सहित कुछ दवाएं भी इस बीमारी के खतरे को बढ़ाती है।
Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।