Navratri 2023 6th Day Maa katyayani Puja : नवरात्रि के छठें दिन मां कात्यायनी की पूजा, जानें पूजा विधि, मंत्र, भोग और आरती

Navratri 2023 6th Day Maa katyayani Puja : नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि मां कात्यायनी की पूजा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं मांकात्यायनी की पूजा विधि और मंत्र।

Navratri 2023 6th Day Maa katyayani Puja नवरात्रि के छठें दिन मां कात्यायनी की पूजा, जानें पूजा विधि, मंत्र, भोग और आरती
Navratri 2023 6th Day Maa katyayani Puja नवरात्रि के छठें दिन मां कात्यायनी की पूजा, जानें पूजा विधि, मंत्र, भोग और आरतीNavratri 2023 6th Day Maa katyayani Puja नवरात्रि के छठें दिन मां कात्यायनी की पूजा, जानें पूजा विधि, मंत्र, भोग और आरती
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Navratri 2023 6th Day Maa katyayani Puja : शारदीय नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गे के छठे स्वरुप कात्यायनी देवी की पूजा की जाती है। मां कात्यानी की पूजा करने से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मां कात्यानी को लाल रंग के फूल, वस्त्र अर्पित करें और उन्हें शहद से बनी मिठाई का भोग लगाएं। आइए जानते हैं मां कात्यानी की पूजा विधि, मंत्र, भोग और आरती।

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मां कात्यानी का स्वरुप
मां कात्यानी का स्वरुप चमकीला और तेजमय है। इनकी चार भुजाएं हैं। मां कात्यानी नने अपने ऊपर वाले हाथओं में तलवार धारण करती हैं और नीचे वाले हाथ में कमल का फूल रहता है। मां कात्यानी की पूजा करने से व्यक्ति को परम पद की प्राप्ति होती है साथ ही मोक्ष भी मिलता है।

कैसे पड़ा मां कात्यानी नाम
एक बार महर्षि कात्यायन ने भगवती पराम्बा की आराधना करते हुए जब कई वर्ष की कठिन तपस्या की तो उन्हें मां ने दर्शन दिए। साथ ही उनसे वरदान मांगने के लिए कहा। तब उन्होंने इच्छा जाहिर करते हुए कहा कि मां भगवती उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लें। मां भगवती ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली और पुत्री रूप में जन्म लिया। जिसके बाद उनका नाम कात्यानी पड़ा।

मां कात्यानी मंत्र ( Maa katyayani Puja )

कात्यायनी महामाये , महायोगिन्यधीश्वरी। नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।। जय जय अम्बे, जय कात्यायनी। जय जगमाता, जग की महारानी।

‘कंचनाभा वराभयं पद्मधरां मुकटोज्जवलां। स्मेरमुखीं शिवपत्नी कात्यायनी नमोस्तुते।’

मां कात्यानी की पूजा विधि
नवरात्रि के छठे दिन सुबह जल्दी उठकर साफ वस्त्र धारण करें। हो सकें तो लाल या पीले रंग के वस्त्र पहने।
इसके बाद मां कात्यानी की पूजा करने के लिए आप लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण कर सकते हैं।
सबसे पहले पूजा स्थल पर सबसे पहले गंगाजल का छिड़काव करें। इसके बाद ‘कंचनाभा वराभयं पद्मधरां मुकटोज्जवलां। स्मेरमुखीं शिवपत्नी कात्यायनी नमोस्तुते।’इस मंत्र का जप करें।
इसके बाद घी का दीपक जलाकर पूजा शुरप करें। साथ ही साथ ही रोली, अक्षत, लाल चुनरी, धूप, दीप आदि चीजों को अर्पित करें। साथ ही माता को लौंग बताशें और पान का पत्ता शहद लगाकर जरुर अर्पित करें। अंत में कपूर जलाकर मां कात्यानी की आरती उतारें।

मां कात्यानी को लगाएं इन चीजों का भोग
मां कात्यानी को शहर और पीले रंग क मिठाई का भोग अति प्रिय है। हो सके तो माता को शहद के हल्वे का भोग लगाएं। आप चाहें को सूजी का हलवा शहद डालकर बना सकते हैं। अंत में इलायची पाउडर भी मिला दें।

मां कात्यानी आरती
जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।
जय जगमाता, जग की महारानी।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहां वरदाती नाम पुकारा।
कई नाम हैं, कई धाम हैं।
यह स्थान भी तो सुखधाम है।
हर मंदिर में जोत तुम्हारी।
कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।
हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भक्त हैं कहते।
कात्यायनी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की।
झूठे मोह से छुड़ाने वाली।
अपना नाम जपाने वाली।
बृहस्पतिवार को पूजा करियो।
ध्यान कात्यायनी का धरियो।
हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी।
जो भी मां को भक्त पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।