पुष्कर ऊंट मेला ( Pushkar Camel Fair ): राजस्थान का पुष्कर मेला बेहद प्रसिद्ध है. इसे दुनिया का सबसे बड़ा ऊंट फेस्टिवल भी कहा जाता है. इस मेले को हर साल बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है और देश के कोने-कोने से सैलानी इसे देखने के लिए जाते हैं. विदेशी सैलानियों की भी इस मेले में भीड़ जुटी रहती है.
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मेला पुष्कर ( Pushkar Fair ) में लगता है जो अजमेर से करीब 12 किलोमीटर दूर है. वैसे भी पुष्कर का बेहद धार्मिक महत्व है. यह प्रमुख तीर्थ स्थलों में शामिल है. यहां ब्रह्मा का मंदिर है. पुष्कर झील किनारे अनेकों घाट बने हुए हैं. यहां सावित्री, बदरीनारायण, वाराह, रंगजी और शिव आत्मेश्वर के मंदिर हैं, जहां दर्शन के लिए दूर-दूर से सैलानी आते हैं.
पुष्कर ऊंट मेला ( Pushkar Camel Fair ) कब मनाया जाता है?
पुष्कर मेला हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दौरान आयोजित होता है. मेले में काफी धूम होती है और अच्छी खासी भीड़ जुटती है. इस मेले का खास आकर्षण ऊंट है जिस वजह से इसे ऊंट महोत्सव या मेला भी कहा जाता है. रेत के टीलों के बीच दुकाने लगती हैं और पर्यटक खरीददारी करने के साथ ही ऊंटों को भी देखते हैं. यह मेला काफी पहले से लगता आ रहा है, जिसमें कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होता है. जिसमें राजस्थान की संस्कृति की झलक देखने को मिलती है.
इस बार पुष्कर ऊंट मेला ( Pushkar Camel Fair ) : Mon, 20 Nov, 2023 से Tue, 28 Nov, 2023 तक आयोजित होगा. अगर आपने अभी तक पुष्कर का मेला नहीं देखा तो इस बार आप इस मेले को देखने का प्लान बना सकते हैं. आप किसी भी शहर से आसानी से पुष्कर पहुंच जाएंगे. यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन अजमेर और नजदीकी एयरपोर्ट किशनगढ़ है.
जानिए कैसे पड़ा झील का नाम: पुष्कर ऊंट मेला ( Pushkar Camel Fair )
यहां स्थित पुष्कर झील के बारे में कहा जाता है कि इसकी उत्पत्ति पुष्प और कर के मेल से हुई है. जहां पर ईश्वरीय शक्ति द्वारा एक पुष्प अपने हाथों से पृथ्वी पर गिराया गया था और जिस स्थान पर वह गिरा उस स्थान पर भगवान ब्रह्मा द्वारा भव्य यज्ञ का आयोजन किया गया. वहीं पुष्कर झील है. जिस कारण इस क्षेत्र का नाम पुष्कर पड़ा. पद्मपुराण में भी पुष्कर का वर्णन मिलता है. पुष्कर का वर्णन रामायण में भी हुआ है. इसे तीर्थों का मुख माना जाता है.