वज्रासन के आश्चर्यजनक फायदे
वज्रासन का अर्थ है बलवान स्थिति। पाचनशक्ति, वीर्यशक्ति तथा स्नायुशक्ति देने वाला होने से यह आसन वज्रासन कहलाता है। समस्त योगआसनों (Yogasana) में वज्रासन ही एक ऐसा आसन है, जिसे भोजन या नाश्ता करने के उपरांत तुरंत भी किया जा सकता है। स्वास्थ्य के लिए वज्रासन अभ्यास अति लाभदायक होता है। वज्रासन हर उम्र का व्यक्ति सरलता से कर सकता है। इस कल्याणकारी आसन को अंग्रेज़ी में Diamond Pose कहा जाता है। यह आसन दिन में किसी भी समय किया जा सकता है। वज्र का अर्थ कठोर/ मजबूत / प्रबल ऐसा होता है। शरीर में रक्त प्रवाह दुरुस्त करने और पाचनशक्ति (Digestive System) बढ़ाने के लिए वज्रासन एक उत्तम आसन बताया गया है। प्रतिदिन वज्रासन करने से जांघें और घुटनें मज़बूत बनते हैं। वज्रासन करने से कमर के निचले हिस्से से पैर तक के सारे स्नायुओं को कसरत मिलती है। तथा अधिक मात्रा में भोजन कर लेने के बाद होने वाली बेचैनी वज्रासन करने से दूर हो जाती है।
लाभ
वज्रासन के अभ्यास से शरीर का मध्य भाग सीधा रहता है। श्वास की गति मन्द पड़ने से वायु बढ़ती है। आँखों की ज्योति तेज होती है। वज्रनाड़ी अर्थात वीर्यधारा नाड़ी मजबूत बनती है। वीर्य की ऊर्ध्वगति होने से शरीर वज्र जैसा बनाता है। लम्बे समय तक सरलता से यह आसन कर सकते हैं। इससे मन की चंचलता दूर होकर व्यक्ति स्थिर बुद्धि वाला बनाता है। शरीर में रक्ताभिसरण ठीक से होकर शरीर निरोगी एवं सुन्दर बनता है। भोजन के बाद इस आसन में बैठने से पाचन शक्ति तेज होती है। कब्ज दूर होता है। भोजन जल्दी हजम होता है। पेट की वायु का नाश होता है। कब्ज दूर होकर पेट के तमाम रोग नष्ट होते हैं। पाण्डु रोग से मुक्ति मिलती है। रीढ़, कमर, जांघ, घुटने और पैरों में शक्ति बढ़ती है। कमर और पैर का वायु रोग दूर होता है। स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है। स्त्रियों के मासिक धर्म की अनियमितता जैसे रोग दूर होते हैं। शुक्र दोष, वीर्यदोष, घुटनों का दर्द आदि का नाश होता है। स्नायु पुष्ट होते हैं। स्फूर्ति बढने के लिए मानसिक निराशा दूर करने के लिए यह आसन उपयोगी है। ध्यान के लिये भी यह आसन उत्तम है। इसके अभ्यास से शारीरिक स्फूर्ति एवं मानसिक प्रसन्नता प्रकट होती है। दिन-प्रतिदिन शक्ति का संचार होता है इसलिए शारीरिक बल में खूब वृद्धि होती है। काग का गिरना अर्थात गले के टान्सिल्स, हड्डियों के पोल आदि स्थानों में उत्पन्न होने वाले श्वेतकण की संख्या में वृद्धि होने से आरोग्य का साम्राज्य स्थापित होता है। फिर व्यक्ति बुखार से सिरदर्द से, कब्ज से, मंदाग्नि से या अजीर्ण जैसे छोट-मोटे किसी भी रोग से पीडि़त नहीं रहता, क्योंकि रोग आरोग्य के साम्राज्य में प्रविष्ट होने का सााहस ही नहीं कर पाते।
शरीर को सुडौल बनाए रखता है और वजन कम करने में मददगार हैं।
महिलाओ में मासिक धर्म की अनियमितता दूर होती हैं।
रीढ़ की हड्डी मजबूत होती हैं और मन की चंचलता को दूर कर एकाग्रता बढ़ाता हैं।
अपचन, गैस, कब्ज इत्यादि विकारो को दूर करता हैं और पाचन शक्ति बढ़ाता हैं।
यह प्रजनन प्रणाली को सशक्त बनाता हैं।
सायटिका से पीड़ित व्यक्तिओ में लाभकर हैं।
इस आसन को नियमित करने से घुटनों में दर्द, गठिया होने से बचा जा सकता हैं।
पैरो के मांसपेशियों से जुड़ी समस्याओं में यह आसन मददगार हैं।
इस आसान में धीरे-धीरे लम्बी गहरी साँसे लेने से फेफड़े मजबूत होते हैं।
वज्रासन से नितम्ब (Hips), कमर (Waist) और जांघ (Thigh) पर जमी हुई अनचाही चर्बी (Fats) कम हो जाती हैं और उच्च रक्तचाप कम होता हैं।
विधि
भोजन करने के 5 मिनट बाद एक समान, सपाट और स्वच्छ जगह पर कम्बल या अन्य कोई आसन बिछाए। दोनों पैर सामने की तरफ फैलाकर बैठ जाए।
इसके बाद बाए (Left) पैर का घुटने को मोड़कर इस तरह बैठे के पैरो के पंजे पीछे और ऊपर की और हो जाए।
अब दाए (Right) पैर का घुटना भी मोड़कर इस तरह बैठे के पैरो के पंजे पीछे और ऊपर की और हो जाए और नितम्ब (Hips) दोनों एड़ियों (Ankle) के बीच आ जाए।
दोनों पैर के अंगूठे (Great Toe) एक दूसरे से मिलाकर रखे।दोनों एड़ियो में अंतर बनाकर रखे और शरीर को सीधा रखे।
अपने दोनों हाथो को घुटने पर रखे और धीरे-धीरे शरीर को ढीला छोड़े।
आँखे बंद कर रखे और धीरे-धीरे लम्बी गहरी साँसे ले और छोड़े।
इस आसन को आप जब तक आरामदायक महसूस करे तब तक कर सकते हैं। शुरुआत में केवल 2 से 5 मिनट तक ही करे।
सीमा
वज्रासन सुबह मेँ खाली पेट भी किया जा सकता है और भोजन के बाद भी किया जा सकता है। शुरुआत मेँ वज्रासन तीन से पाँच मिनट तक करना चाहिए। अभ्यास बढ़ जाने पर इसे अधिक समय तक (दस मिनट तक) भी किया जा सकता है।पैर दुखने लगें या कमर दर्द होने लगे उतनी देर तक वज्रासन मेँ नहीं बैठना है।
सावधानियां
वज्रासन करने पर चक्कर आनें लगे, पीठ दर्द होने लगे, टखनें दुखने लगें, घुटनें या शरीर के कोई भी अन्य जौड़ अधिक दर्द करें लगे तो फौरन इस आसन का अभ्यास रोक कर डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
एड़ी के रोग से पीड़ित व्यक्ति वज्रासन न करे।
अगर वज्रासन करने पर आपको कमर दर्द, कमजोरी या चक्कर आने जैसे कोई समस्या हो तो आसन बंद कर अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले।
गर्भवती महिलाओं को वज्रासन बिलकुल “नहीं” करना चाहिए।
वज्रासन करने वाले व्यक्ति को यह आसन हड़बड़ी में नहीं करना चाहिए। टखनें, घुटनें, या एड़ियों पर किसी भी तरह का ऑपरेशन कराया हों, उन्हे यह आसन बिलकुल नहीं करना चाहिए। हड्डियों मेँ कम्पन की बीमारी वाले व्यक्ति को यह आसन नहीं करना चाहिए।
योग गुरु ओम कालवा
” प्रदेश संरक्षक “
( राजस्थान योग शिक्षक संघर्ष समिति )
तुलसी सेवा संस्थान हॉस्पिटल श्री डूंगरगढ़ में योग चिकित्सक
Mob.9799436775