श्री डूंगरगढ़ न्यूज़ :-मारवाड़ी के जरिए स्टार बनी इस महिला का सफ़र किसी फ़िल्मी कहानी से कम नहीं है, जानिए गाँव से लेकर गूगल तक का सफ़र!
यूट्यूब के जरिए लाखों लोगों तक पहुंची कौशल्या चौधरी, गांव से निकली और उसे ही कैरियर बना लिया!
कौशल्या का तकनीक से लगाव और खाना बनाने की रूचि की वजह से शुरुवात में मोबाइल से यूट्यूब पर हिन्दी भाषा में कुछ विडियो डालने शुरू किये,
जिस क्षेत्रीय बोली मारवाड़ी को बोलने पर लोग कम पढा लिखा होने का आंकलन अब तक करते रहे हैं, आज उसी को सुनने के लिए बेताब हो रहे हैं! गाँव के देशी खान पान को कौशल्या चौधरी ने विडियो के जरिए क्षेत्र ही नहीं दुनिया के कई हिस्सों तक पहुचाने का काम किया!
मारवाड़ी को सोशल मिडिया के जरिए लाखों लोगों तक पहुँचाने वाली कौशल्या चौधरी जोधपुर जिले के एक छोटे से गाँव के साधरण परिवार में जन्मी थी, गाँव के सरकारी स्कूल में प्रारम्भिक पढाई की, इसके बाद गाँव में रहते हुए स्वयंपाठी छात्रा के तौर पर स्नातक और राजस्थानी व लोक-प्रशासन में स्नातकोत्तर की परीक्षा के दौरान जोधपुर आना हुआ ! जहाँ पर उन्होंने देखा की उनके जैसे हजारों की संख्या में लडकियाँ शहर आती है जिन्हें विपरीत परिस्तिथियों का सामना करना पड़ता है और सफलता भी हाथ नहीं लगती! इस दौरान उन्होंने समाचारों में देखा की सोशल मिडिया से भी लोग अपनी कला को आगे ला रहे हैं!
मारवाड़ी बोली और अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए काम करती है
कौशल्या ने तय किया कि अब मारवाड़ी बोली और अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए काम करेगी! गाँव लोटी और मारवाड़ी में ही रेसिपी के विडियो बनाकर यूट्यूब पर डालना शुरू किया! लोकप्रियता एसी बढ़ी की एक साल में ही विडियो को देखने वालो की संख्या पाँच से छ करोड़ पार कर गयी!
इस छोटे से गांव से है कौशल्या
भोपालगढ़ क्षेत्र के छोटे से गांव कुड़ी में रहने वाले परिवार ने कभी सोचा नहीं होगा कि उनकी बेटी मोबाइल फोन के उपयोग से पूरे परिवार का नाम रोशन कर देगी। कौशल्या यूं तो दिखने में आम महिला की तरह है लेकिन इनकी कुछ कर दिखाने की लगन ने उन्हें एक अलग ही मुकाम पर पहुंचा दिया है। यूट्यूब व सोशल मीडिया पर इनके लाखों चाहने वाले हैं। अपने अलग अन्दाज के जरिये दिखा दिया है कि अगर सोशल मीडिया का सही सदुपयोग किया जाए तो यह बड़े ही काम की चीज है।
लोग देशी और गंवार के रूप में देखते है उसी भाषा को अपनाया
जिस भाषा को लोग देशी और गंवार के रूप में देखते है उसी भाषा को अपनाया। हालत यह है कि आज लाखों लोग इस भाषा और डायलॉग डिलेवरी के फैन हो चुके है। यू-ट्यूब से अच्छे खासे पैसे भी कमाती है।
कौशल्या कहती है की जब सब लोग उनके काम को लेकर असमंजस में थे और इसे न करने की सलाह दे रहे थे उस वक्त मेरे परिवार ने ही मुझे आगे बढ़ने की सलाह दी। देसी अंदाज के चलते आज देश विदेश में भी इनके लाखों फैन है।
सोशल मीडिया यूजर्स की वाहवाही भी बटोर रही है
जोधपुर के ग्रामीण इलाके की यह महिला तकनीक के जरिये अपनी पाक कला लोगों के सामने ला रही है और इस तरह वह सोशल मीडिया यूजर्स की वाहवाही भी बटोर रही है! इसमें दिलचस्प पहलू यह है कि पारंपरिक राजस्थानी ड्रेस और माथे पर सजे बोड़ले के साथ जब वे रेसिपी सिखाती है तो भाषा के साथ रेसिपी का स्वाद भी देखने वाले महसूस कर सकते हैं! अपनी लोकल भाषा में सुविचार और ज्ञान की बातें बताते हुए कौशल्या लोकल व्यंजनों को ग्लोबल प्लेटफार्म पर प्रस्तुत कर रही है!
राजस्थानी खाने को देसी अंदाज में आगे लेकर आई कौशल्या
राजस्थानी बाजरे की खिचड़ी, लापसी और कढ़ी भला किसे पसन्द नहीं है! लेकिन कौशल्या चौधरी ने इन रेसिपीज को अपने देशी अंदाज में सोशल मिडिया पर लाकर अपनी एक अलग पहचान बनाई है! आज इन्हें सोशल मिडिया पर दस लाख से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं!
राजस्थान के ग्रामीण इलाके की एक साधारण सी लड़की कौशल्या प्रदेश ही नहीं, देश भर के लोगों के लिए प्रेरणा बन गई है!
घरेलू खाना पकाने के तरीके देशी अन्दाज
कौशल्या चौधरी के 1 लाख से ज्यादा फॉलोवर तो सिर्फ शुरवाती महीनें में ही हो गए थे. दरअसल, कौशल्या कुछ अलग या खास नहीं करती, वह सिर्फ अपने रोजमर्रा के घरेलू खाना पकाने के तरीके देशी अन्दाज में इंटरनेट के जरिये लोगों तक पहुंचाती है!
कौशल्या का कहना है कि वह अपने घर में बनने वाले खाने की रिकॉर्डिंग करके शहर के लोगों को दिखाना चाहती हैं कि पारंपरिक तौर पर उसे कैसे बनाया जाता है. शुरुआत में वह अकेली ट्राईपॉड की मदद से विडियो बनाती थी, लेकिन अब एक वीडियोग्राफर उनके साथ हैं!
देशी चूल्हे पर मारवाड़ी व्यंजनों को जन-जन तक पहुँचाती है कौशल्या चौधरी
यूट्यूब चैनल सीधी मारवाड़ी के माध्यम से आमजन को ठेठ गाँव की रसोई के देशी चूल्हे पर मारवाड़ी व्यंजनों को जन-जन तक पहुँचाने के साथ देश-विदेश की कई रेसिपी को देशी अन्दाज में प्रस्तुत करने का काम कर रही कौशल्या चौधरी ने कोविड 19 महामारी के दौर में सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का काम किया। कोरोना वायरस का बढ़ता प्रकोप भी उनकी कार्यशैली पर ब्रेक नहीं लगा सका। समाजहित को अपने जीवन में प्राथमिकता देने वाली कौशल्या चौधरी ने सोशल मीडिया को इस महामारी में जागरूकता का हथियार बना लिया!
महामारी के दौर मोटिवेट करने में जुट गईं
महामारी के दौर में यूट्यूब के अलावा फेसबुक, वाट्सएप, ट्विटर व इंस्टाग्राम आदि एकाउंट पर वह लोगों से जुड़कर उन्हें मोटिवेट करने में जुट गईं। लोगों के तमाम तरह के सवालों का जवाब देना हो, कोरोना बीमारी से बचाव के तरीके, लॉकडाउन में खानपान और सेहत से जुड़े मुद्दे या फिर पब्लिक की कोई भी सामाजिक समस्या हो उसका समाधान करने का प्रयास वह आज भी सोशल मीडिया के माध्यम से कर रही हैं। उन्होंने कोरोना से बचाव को लेकर तमाम तरह के जागरूकता फैलाने वाले छोटे विडियो, पोस्टर बनाकर, लेख आदि सोशल मीडिया पर पोस्ट किए जिससे समाज जागरूक होकर महामारी का मुकाबला कर सके। कौशल्या कहती है संयमित दिनचर्या के साथ सरकार द्वारा जारी होने वाले दिशा निर्देशों का पालन करने से भारत आज महामारी की जंग जीतने की तरफ बढ़ रहा है। अब तक जो जज्बात देशवासियों ने दिखाए हैं अब उनके परिणाम की घड़ी है!
गरीब परिवारों की मदद के लिए आगे आई कौशल्या!
कौशल्या चौधरी ने अपने जन्मदिन पर कोरोना महामारी के शुरुवाती दिनों में खुद की कमाई से गरीब परिवारों की सहायता हेतु मुख्यमंत्री सहायता कोष में एक लाख रूपए की सहयोग राशि भेंट की इसके अलावा कौशल्या ने अपने गाँव में बाहर से आये लोगों के लिए कोरोना वेलनेस सेंटर पर दस हजार रूपए देकर और 35 जरुरतमंदो व्यक्तियों के लिए लगातार 15 दिन तक अपने हाथ से खाना बनाकर भिजवाकर मानवता की अनूठी मिशाल पेश की और सोशल मिडिया के माध्यम से आम जन से भी यथासंभव मदद करने की अपील की!
वह खुद तो सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को जागृत कर ही रही है उनके साथ ही परिवार के कई सदस्य भी उनके कंधे से कंधा मिलाकर सरकारी सेवाओं के माध्यम से कोरोना वारियर्स की भूमिका निभा रहे हैं!
कौशल्या का कहना है कि देश और समाजसेवा करने के लिए किसी सरकारी सेवा में होना जरुरी नहीं है, समाज सेवा करने के विभिन्न रास्ते हो सकते हैं! सिर्फ व्यक्ति में निस्वार्थ भाव से सेवा करने का जज्बा भरा हो! जब तक अन्दर से समाज सेवा की लौ नहीं जगेगी तब तक निस्वार्थ भाव से सेवा नहीं हो सकती! इसलिए प्रत्येक कार्य के माध्यम से समाज सेवा में अपना योगदान दे सकते हैं!
इसके अलावा राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने, महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण संरक्षण, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ मुहिम को आगे बढ़ाने सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन हेतु भी कौशल्या सोशल मिडिया के माध्यम से जागरूक कर रही है!
प्रकृति बढ़ावा ,और अपनी संस्कृति को बढ़ावा में हमेशा आगे रहती है
उन्होंने अपने गाँव के युवाओं के साथ मिलकर वाट्सएप ग्रुप बनाकर दो लाख से ज्यादा रूपए एकत्र कर अपने गांव की पथरीली जमीन पर 300 से ज्यादा पौधे लगाये और उनकी देखभाल का संकल्प लिया!
कौशल्या ने स्वतंत्रता दिवस पर ग्रामीण इलाकों से वतन की खातिर अपनी जान कुर्बान करने वाले शहीदों की वीरांगनाओं का प्रशासन के साथ घर-घर जाकर सम्मान किया!
अपनी बेटी के जन्मदिन पर कौशल्या ने अपनी संस्कृति को बढ़ावा देते हुए बेटी को तिलक लगाकर दीप प्रज्वलित कर बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का सन्देश दिया!
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