राजस्थान की सभी 11 हजार पंचायतों पर आज से तालाबंदी, जानिए क्यों ?

राजस्थान के सरपंच अपनी लंबित मांगों को लेकर एक बार फिर से आंदोलन की राह पर है. अपनी मांगों को सरपंचों ने सरकार के खिलाफ बिगुल भी बजा दिया है. आज पूरे राजस्थान की 11 हजार से ज्यादा पंचायत दफ्तरों पर सरपंचों ने तालाबंदी कर दी है और कार्य का बहिष्कार अनिश्चितकालीन तक किया.

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श्री डूंगरगढ़ न्यूज़ -: राजस्थान के सरपंच अपनी लंबित मांगों को लेकर एक बार फिर से आंदोलन की राह पर है. अपनी मांगों को सरपंचों ने सरकार के खिलाफ बिगुल भी बजा दिया है.

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आज पूरे राजस्थान की 11 हजार से ज्यादा पंचायत दफ्तरों पर सरपंचों ने तालाबंदी कर दी है और कार्य का बहिष्कार अनिश्चितकालीन तक किया. 22 मार्च को विधानसभा या मुख्यमंत्री आवास का घेराव करेंगे, जिसमें राजस्थान के सभी सरपंच उपस्थित रहेंगे.

इससे पहले सभी सरपंचों ने अपने-अपने क्षेत्र के विधायक को मांग पत्र देकर सरपंचों की आवाज को विधानसभा में उठाने की मांग रखी थी.

ये है सरपंच संघ की प्रमुख मांगे

छटे राज्य वित्त आयोग में दी गई राजस्व कटौती को वापस बढ़ाकर 10% किया जाए, निजी खातेदारी में प्रचलित रास्तों, पेयजल योजनाओं के लिए सहमति के आधार पर स्वीकृति जारी करने के आदेश प्रदान किए जाएं. संविदा कर्मियों का वेतन संबंधित विभाग से करवाया जाए.

पेयजल योजनाओं का संचालन एवं संधारण पीएचईडी द्वारा किया जाए. कृषि भूमि पर बसी कॉलोनियों को नियमन कर पट्टा जारी करने का अधिकार पंचायतों को दिया जाए. सरपंच अपना मानदेय 4 हजार से 15 हजार करने की मांग भी कर रहे हैं.

इसके अलावा वार्ड पंचो, पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्य का भत्ता बढ़ाने की मांग भी शामिल है. नरेगा में मेट, कारीगर और सामग्री का भुगतान करने की मांग भी की जा रही है. इसके अलावा मनरेगा में श्रमिकों के कार्य दिवस 100 से बढ़ाकर 200 दिन करने की मांज की जा रही है.

सरपंच संघ के प्रदेश प्रवक्ता जयराम पलसानिया ने बताया कि इसके पहले 13 सूत्रीय मांग पत्र ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज मंत्री रमेश मीणा को सौंपा और आंदोलन की चेतावनी दी है.

सरपंचों का कहना है कि लंबे समय से राजस्थान सरकार से बातचीत करने और ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन इसका कोई रिजल्ट आता नहीं दिख रहा है, जिसके बाद तालाबंदी का फैसला लिया गया है.