श्री डूंगरगढ़ न्यूज़ |कोरोना से पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा का हुआ निधन , कल 12 बजे ऋषिकेश के एम्स में ली अंतिम सांस , वृक्षप्रेमी के नाम से भी प्रसिद्ध थे सुंदरलाल बहुगुणा , 9 जनवरी 1927 को उत्तराखंड के सिलयारा में हुआ था बहुगुणा का जन्म , सुंदरलाल बहुगुणा ने 13 वर्ष की उम्र में राजनीतिक सफर की शुरुआत की , मीराबेन व ठक्कर बाप्पा से सुंदरलाल बहुगुणा की मुलाकात हुई , … और यहीं से शुरू हुआ उनका आंदोलन का सफर , मंदिरों में दलितों को प्रवेश का अधिकार दिलाने के लिए प्रदर्शन करना शुरू किया , 1970 में गढ़वाल हिमालय में पेड़ों को काटने के विरोध में आंदोलन की शुरुआत की , आंदोलन का नारा ” क्या हैं जंगल के उपकार , मिट्टी , पानी और बयार ” , ” मिट्टी , पानी और बयार , जिन्दा रहने के आधार ” तय किया गया था , 1987 में उन्हें चिपको आंदोलन को लेकर राइट लाइवलीहुड पुरस्कार का सम्मान मिला , 1981 में सुंदरलाल बहुगुणा ने पद्मश्री पुरस्कार लेने से मना दिया और , कहा – ‘ जब तक पेड़ कटते रहेंगे , तब तक मैं इस पुरस्कार को स्वीकार नहीं कर सकता ‘ , अपने जीवनकाल में सुंदरलाल को मिले कई बड़े सम्मान
नहीं रहे चिपको आंदोलन के जनक सुंदरलाल बहुगुणा
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