श्रीडूंगरगढ़ न्यूज ||झुंझुनूं (Jhunjhunu)जिले में जिस तेजी से डेंगू पैर पसार रहा है उसी गति से बकरी के दूध व पपीते के पत्तों की मांग भी बढ़ गई है। बकरी के दूध व पपीते के पत्तों से भले ही मरीज की प्लेलेट्स बढ़े या नहीं, लेकिन इनके भाव जरूर बढ़ गए हैं। शहर के निकट के गांवों में तो बकरी का दूध दो गुना महंगा हो गया है। तीस रुपए किलो के भाव से मिलने वाला बकरी का दूध कहीं पचास तो कहीं सत्तर रुपए किलो तक बिक रहा है। अनेक जगह तो सत्तर रुपए देने के बावजूद दूध नहीं मिल रहा। वहीं पपीते के पत्ते तो निशुल्क मिल रहे हैं, लेकिन इनकी मांग भी बढ़ गई है।
मंडावा के नजदीकी गांव गादू का बास निवासी राजीव कुमार ने बताया कि गत दस साल से बकरी पालन रहा है। उसके पास 17 छोटी-बड़ी बकरियां हैं। जिनमें तीन बकरी दूध देती हैं। उन्होंने बताया कि उनके भानजे प्रवीण व अमित को डेंगू बुखार है। चिकित्सक ने उपचार के साथ साथ तरल पदार्थ का सेवन करने तथा बकरी का दूध पीने की सलाह दी है। दोनों भानजों को बकरी का दूध पीने को दिया। साथ ही गांव के पड़ौसी निखिल व पीयूष के डेंगू होने पर परिजन बकरी का दूध पिला रहे हैं।
मंड्रेला के वार्ड 25 निवासी बकरी पालने वाले मुंशी ने बताया कि पहले केवल नन्हे बालकों के लिए लोग बकरी का दूध लेकर जाते थे, लेकिन अब डेंगू के मरीज भी बकरी का दूध ले जा रहे हैं। वे पचास से सत्तर रुपए किलो के भाव से दूध बेच रहे हैं। जरूरतमंदों को निशुल्क भी दूध दे रहे हैं।
क्या होते हैं प्लेटलेट्स
राजकीय भगवान दास खेतान अस्पताल झुंझुनूं के मेडिसिन विभाग के डा रजनेश माथुर का कहना है कि रक्त में श्वेत रक्त कणिका, लाल रक्त कणिका के अलावा प्लेटलेट्स भी होती है। प्लेटलेट्स रक्त का एक भाग है जो खून का थक्का बनाने में सहायक हैं। चोट लगने पर होने वाले रक्तस्त्राव को ये रोकती हैं।
स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में डेढ़ से चार लाख प्लेटलेट्स होती हैं। किसी कारण से यदि ये 50 हजार से कम हो जाएं तो चिंता की बात नहीं। यदि 10-20 हजार की संख्या रहे तो यह स्थिति इमरजेंसी की है।
डॉ माथुर के अनुसार डेंगू, मलेरिया, स्क्रब टायफस, टायफॉइड जैसे रोगों में और दर्दनिवारक दवाएं नियमित लेने से भी ये घटने लगती हैं। इन दिनों बीडीके में दो तरह के मरीज आ रहे हैं। पहले वे जिनके डेंगू पॉजिटिव हैं, लेकिन प्लेटलेट्स एक लाख से ज्यादा हैं। दूसरे वे जिनके डेंगू नेगेटिव आया है लेकिन प्लेटलेट्स बीस हजार ही है। ऐसे में कम प्लेटलेटस वाले मरीज का भर्ती करवाना जरूरी है। डेंगू का अलग से कोई उपचार नहीं है। सामान्य उपचार दे रहे हैं। प्लेटलेट्स बीस हजार से कम होने पर उसे प्लेलेट्स चढ़ाई जा रही है।
आयुर्वेद के अनुसार
आयुर्वेद विभाग के सहायक निदेशक डॉ जितेन्द्र स्वामी के अनुसार बकरी का दूध तो सभी के लिए बहुत अच्छा रहता है। इसके नियमित सेवन से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसी प्रकार पपीते के पत्ते का रस पीने से भी शरीर में रोगों से लडऩे की ताकत बढ़ती है। पशु विज्ञान केन्द्र सिरियासर के प्रभारी अधिकारी डॉ प्रमोद कुमार का कहना है जब तक रीसर्च पेपर नहीं मिलते यह कहना मुश्किल है कि बकरी के दूध से प्लेटलेट्स बढ़ते हैं या नहीं। लेकिन इन दिनों बकरी के दूध की मांग जरूर बढ़ रही है।
यह सावधानी बरतें
- डेूंग भी वायरस है जनित रोग है, जो मच्छर के कारण फैलता है। इसलिए मच्छरों को नहीं पनपने दें। खासकर डेंगू फैलाने वाला मच्छर साफ पानी में पनपता है
- यह मच्छर अधिकतर दिन के समय ज्यादा काटता है इसलिए पैरों में पेंट, पायजामा व जुराब पहनकर रहें। पूरे शरीर को ढककर रखें
- बुखार आने पर नजदीकी चिकित्सक को दिखाएं
- तरल पेय ज्यादा मात्रा में लें।