श्री डूंगरगढ़ न्यूज़ || योग विज्ञान में भारत के महान योगियों और ऋषियों ने जिन आसनों की रचना की है, उन सभी की प्रेरणा का सोर्स प्रकृति ही रहा है। वह प्रकृति को ही मनुष्यों के सृजन, पालन और विनाश का आधार मानते थे। शायद यही कारण है कि योग विज्ञान का हर आसन प्रकृति के किसी अंग, जीव-जंतु, पक्षी, वस्तु या अंगों से बनाई जाने वाली मुद्रा पर ही आधारित होता है।
योग विज्ञान की यही बात उसे प्रकृति का विज्ञान बनाने में मदद करती है। योग विज्ञान का ऐसा ही एक आसन वृक्षासन योग (Vrikshasana) भी है। वृक्षासन को ट्री पोज (Tree Pose) भी कहा जाता है। वृक्षासन ऐसा योगासन है जो आपके शरीर में स्थिरता, संतुलन और सहनशक्ति लाने में मदद करता है।
इसलिए इस आर्टिकल में मैं आपको वृक्षासन क्या है, वृक्षासन के फायदे, इसे करने का सही तरीका, विधि और सावधानियों के बारे में जानकारी दूंगा।
क्या है वृक्षासन ?
वृक्षासन संस्कृत भाषा का शब्द है। इसका शाब्दिक अर्थ होता है, वृक्ष यानी कि पेड़ जैसा आसन। इस आसन में योगी का शरीर पेड़ की स्थिति बनाता है और वैसी ही गंभीरता और विशालता को खुद में समाने की कोशिश करता है।
वृक्षासन का नियमित अभ्यास आपके शरीर को नई चेतना और ऊर्जा हासिल करने में मदद करता है। आमतौर पर योगासन करने के दौरान आपको आंखें बंद करके ऊर्जा का अनुभव करने की सलाह दी जाती है।
लेकिन वृक्षासन के दौरान आपसे आंखें खुली रखने के लिए कहा जाता है। ऐसा इसलिए ताकि आप शरीर का संतुलन करने के साथ ही आसपास की गतिविधियों को देखते हुए खुद को स्थिर बनाए रखने की प्रेरणा हासिल कर सकें।
वृक्षासन हठयोग का शुरुआती लेवल का आसन है। इस आसन को करते समय एक टांग पर सिर्फ एक मिनट तक ही खड़े रहने की सलाह दी जाती है। इसके बाद ये आसन दूसरी टांग पर करना चाहिए। हर टांग पर कम से कम 5 बार ये आसन करना चाहिए।
वृक्षासन के नियमित अभ्यास से टखने, जांघें, पिंडली, पसलियां मजबूत हो जाती हैं। जबकि ग्रोइन, जांघें, कंधे और छाती पर खिंचाव पड़ता है।
वृक्षासन करने के फायदे:-
वृक्षासन शरीर को संतुलित करने वाला आसन है। इसके मुख्य फायदे बैलेंस बनाने और नर्व्स सिस्टम को बढ़ाने में छिपे हुए हैं।
जब आप शरीर का संतुलन बनाते हैं तो, आप दिमाग को फोकस करने के लिए मजबूर करते हैं और जब आप फोकस करते हैं तो आपको ये महसूस होने लगता है कि आप संतुलन बना पा रहे हैं। जब दिमाग इस तथ्य को जान लेता है तो वह शरीर को भी वैसे ही संकेत भेजने लगता है। इसकी वजह से आप धीमी गति से ही सही लेकिन स्ट्रेस और टेंशन की स्थिति में भी बैलेंस बनाने की कला सीख लेते हैं।
इसके अलावा वृक्षासन के दौरान आप अपने दिमाग और शरीर को भी स्ट्रेचिंग के जरिए स्थिर कर रहे होते हैं। ये आसन आपके जोड़ों और हड्डियों को मजबूत करता है। इसके अलावा ये हिप्स और चेस्ट के हिस्से को फैलाने में भी मदद करता है। ये आपके कंधों के मूवमेंट को फ्री करता है और हाथों को टोन करने में भी मदद करता है।
● वृक्षासन रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाता है।
● ये शरीर में स्थिरता और संतुलन बनाने में मदद करता है।
● ये न्यूरो-मस्क्युलर के बीच संबंध को मजबूत और स्वस्थ बनाता है।
● वृक्षासन पैरों की मसल्स को टोन करता है।
● ये पैरों के लिगामेंट और टेंडोंस को मजबूत बनाता है।
● घुटने मजबूत होते हैं और हिप्स के जोड़ ढीले होते हैं।
● आंखें, भीतरी कान और कंधे भी मजबूत होते हैं।
● साइटिका के दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है।
● ये फ्लैट फीट की समस्या से भी राहत दिलवाता है।
● ये आपको स्थिर, लचीला और धैर्यवान बनाता है।
● वृक्षासन एकाग्रता को बढ़ाता है और मानसिक उलझनों को दूर करता है।
● ये आसन छाती की चौड़ाई बढ़ाने में भी मदद करता है।
वृक्षासन करने का सही तरीका :-
शुरुआत में आपको वृक्षासन करने में परेशानी हो सकती है। क्योंकि आपको अपने बाएं पैर को दाएं घुटने से ऊपर रखना पड़ता है। ऐसी स्थिति में, आप अपने पैर को घुटने के नीचे रख सकते हैं।
लेकिन, कभी भी पैर को अपने घुटने पर मत रखिए। इसके अलावा आपके लिए स्थिर खड़े रहना और संतुलन बनाए रखना भी कठिन महसूस हो सकता है। इसलिए शुरुआती दौर में इस आसन का अभ्यास करने में असुविधा होने पर आप संतुलन बनाने के लिए दीवार का सहारा ले सकते हैं।
इसके अलावा एकाग्रता को बढ़ाने के लिए आप वृक्षासन की प्रैक्टिस से पहले कुछ लंबी सांसें ले सकते हैं और अपने सामने स्थित किसी वस्तु पर एकटक निगाह बनाए रखकर आप अपने को संतुलित और स्थिर बनाए रख सकते हैं।
वृक्षासन करने की विधि :-
1. योग मैट पर सावधान की मुद्रा में सीधे खड़े हो जाएं।
2. दोनों हाथ को जांघों के पास ले आएं।
3. धीरे-धीरे दाएं घुटने को मोड़ते हुए उसे बायीं जांघ पर रखें।
4. बाएं पैर को इस दौरान मजबूती से जमीन पर जमाए रखें।
5. बाएं पैर को एकदम सीधा रखें और सांसों की गति को सामान्य करें।
6. धीरे से सांस खींचते हुए दोनों हाथों को ऊपर की तरफ उठाएं।
7. दोनों हाथों को ऊपर ले जाकर ‘नमस्कार’ की मुद्रा बनाएं।
8. दूर रखी किसी वस्तु पर नजर गड़ाए रखें और संतुलन बनाए रखें।
9. रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। शरीर मजबूत के साथ ही लचीला भी रहेगा।
10. गहरी सांसें भीतर की ओर खींचते रहें।
11. सांसें छोड़ते हुए शरीर को ढीला छोड़ दें।
12. धीरे-धीरे हाथों को नीचे की तरफ लेकर आएं।
13. अब दायीं टांग को भी जमीन पर लगाएं।
14. वैसे ही खड़े हो जाएं जैसे आप आसन से पहले खड़े थे।
15. इसी प्रक्रिया को अब बाएं पैर के साथ भी दोहराएं।
वृक्षासन करने से पहले ध्यान रखने वाली बातें :-
वृक्षासन का अभ्यास सुबह के वक्त ही किया जाना चाहिए। लेकिन अगर आप शाम के वक्त ये आसन कर रहे हैं तो जरूरी है कि आपने भोजन कम से कम 4 से 6 घंटे पहले कर लिया हो।
ये भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि आसन करने से पहले आपने शौच कर लिया हो और पेट एकदम खाली हो।
सावधानी :-
वृक्षासन का अभ्यास करने के दौरान आपको ध्यान रखना चाहिए कि उठे हुए पैर का तलुआ खड़े पैर के घुटने से या तो ऊपर रहे या फिर नीचे रहे। कोशिश करें कि ऊपर ही रहे। कई बार लोग ये गलती कर देते हैं कि आसन का अभ्यास करते समय पैर को घुटने पर ही रख लेते हैं। इससे घुटने पर अनावश्यक जोर पड़ता है और असंतुलन की संभावना भी बढ़ जाती है।
इसके अलावा, आपको निम्नलिखित समस्याएं हैं तो वृक्षासन का अभ्यास करने से बचें।
● हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को वृक्षासन करते हुए हाथों को ऊपर की तरफ नहीं उठाना चाहिए।
● इंसोम्निया के मरीज वृक्षासन का अभ्यास न करें।
● माइग्रेन की समस्या होने पर भी वृक्षासन नहीं करना चाहिए।
● शुरुआत में वृक्षासन को योग ट्रेनर की देखरेख में ही करें।
वर्तमान समय में योग गुरु ओम कालवा तुलसी सेवा संस्थान हॉस्पिटल श्री डूंगरगढ़ के महाप्रज्ञ प्रेक्षा ध्यान सभागार में नियमित योग कक्षाओं का संचालन कर रहे हैं।