महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत काम करने वाले श्रमिकों को मस्टररोल के बजाय रियल टाइम उपस्थिति दर्ज कराने का विरोध शुरू हो गया है। श्रीडूंगरगढ़ के सरपंचों ने तो चेतावनी दी है कि इस तरह का दबाव बनाया गया तो मनरेगा के तहत कोई काम नहीं किया जाएगा।
दरअअसल, केंद्र और राज्य सरकार ने मनरेगा में कार्य करने वाले श्रमिकों की रियल टाइम उपस्थिति दर्ज करवाने के आदेश दिए हैं। इस आदेश का सरपंच संघ एसोसिएशन श्रीडूंगरगढ़ ने विरोध किया है। सरपंचों का कहना है कि हर जगह इंटरनेट और मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध नहीं होता। ऐसे निर्णय करने से गांवों के वंचित क्षेत्रों में काम नहीं हो सकेगा। विकास कार्य भी अवरुद्ध होंगे।
सरपंच संघ ने एक फरवरी से मनरेगा के सभी काम बंद करने की चेतावनी दी है। श्रीडूंगरगढ़ पंचायत समिति के सभागार में सरपंच एसोसिएशन के बैनर तले उपस्थित रिड़ी, लखासर, मोमासर, बिग्गा, बिग्गाबास रामसरा, टेऊ, कितासर भाटियान, धीरदेसर चोटियान, कितासर बिदावतान, ऊपनी, जाखासर, बापेऊ, सूरजनसर, कुनपालसर, बरजांगसर, कल्याणसर, बाडेला, आडसर, मिंगसरिया, पूनरासर, साँवतसर, सोनियासर शिवदानसिंह, उदरासर, बिंझासर, राजेडू, जैतासर, बाना, समंदसर, कल्याणसर नया, शेरुणा, कुंतासर, सूडसर आदि ग्राम पंचायतों के सरपंचों औऱ प्रतिनिधियों ने उपखण्ड अधिकारी और विकास अधिकारी को जिला कलक्टर के नाम ज्ञापन देकर ऑफलाइन मोड पर ही उपस्थिति जारी रखने की बात कही।बिग्गा रामसरा के सरपंच लक्ष्मणराम व रिड़ी सरपंच के प्रतिनिधि हेतराम जाखड़ ने विरोध दर्ज कराया।
क्यों हुई नई व्यवस्था ?
दरअसल, अर्से से प्रदेशभर में ये शिकायत चल रही है कि मनरेगा में मजदूरों के नहीं आने पर भी उनके नाम से भुगतान उठा लिया जाता है। ऐसे में अब रियल टाइम उपस्थिति लगने पर ही भुगतान दिया जाएगा। इन शिकायतों की कई जांचों में पुष्टि भी हुई। इसके बाद ही ये व्यवस्था की गई है। अब सरपंचों के विरोध के बाद प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़ सकता है।