श्रीडूंगरगढ़ न्यूज : इन दिनों 2000 का नोट काफी चर्चा में है. इसका कारण है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2000 रुपये के नोट को चलन से बाहर करने की घोषणा कर दी है. तमाम लोग इसे नोटबंदी के तौर पर देख रहे थे, हालांकि आरबीआई ने ये स्पष्ट कर दिया है कि ये नोटबंदी नहीं है. दो हजार के नोट वैलिड करेंसी बने रहेंगे. आपको इन नोट को को 30 सितंबर से पहले बैंक में जाकर बदलवाना पड़ेगा.
आज के समय में 2000 रुपए का नोट सबसे बड़ी करेंसी के तौर पर देखा जाता है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि एक समय ऐसा भी था जब भारत में 5 हजार, 10 हजार और 1 लाख तक के नोट भी थे. आज के समय में तमाम लोगों को इस बारे में जानकारी नहीं होगी. आइए आपको बताते हैं रोचक बातें.
जानिए 5,000 और 10,000 के नोट का इतिहास
भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक आरबीआई ने पहली बार 10,000 रुपए का नोट साल 1938 में मुद्रित किया था. ये नोट आरबीआई द्वारा मुद्रित अब तक का सबसे बड़ा नोट था. लेकिन जनवरी 1946 में आरबीआई ने काले धन पर चोट की बात कहकर 10,000 के नोट को चलन से बाहर कर दिया था.
साल 1954 में एक बार फिर से 10,000 का नोट सामने आया. इस बार 10,000 के नोट के साथ 5,000 का नोट भी छापा गया था. लेकिन 1978 में मोरारदी देसाई के प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए एक बार फिर नोटबंदी का ऐलान किया गया और 5,000 व 10,000 रुपए के नोटों को फिर से बंद कर दिया गया.
1 लाख के नोट का इतिहास
10,000 के नोट की बात हो सकता है कुछ लोग जानते हों, लेकिन 1 लाख के नोट की जानकारी बहुत कम लोगों को ही है. 1 लाख रुपए का नोट आरबीआई ने नहीं, बल्कि आज़ाद हिंद बैंक ने जारी किया था. इस बैंक का गठन नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने किया था. ये बैंक बर्मा के रंगून में स्थित था. इस बैंक को बैंक ऑफ इंडिपेंडेंस (Bank of Independence) के नाम से जाना जाता था.
भारत को ब्रिटिश राज से छुटकारा दिलाने के लिए जो भी डोनेशन दिया जाता था, वो इसी बैंक में जमा किया जाता था. 1 लाख रुपए का नोट जारी करने वाले आजाद हिंद बैंक को दुनिया के 10 देशों बर्मा, जर्मनी, चीन, मंचूको, इटली, थाईलैंड, फिलिपींस आदि का का समर्थन प्राप्त था और इन देशों ने बैंक की करेंसी को भी मान्यता दी हुई थी. उस समय आज़ाद हिंद बैंक की ओर से छापे गए 1 लाख के नोट पर महात्मा गांधी की नहीं, बल्कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर होती थी और ऊपर की तरफ ‘स्वतंत्र भारत’ लिखा था.