क्यों होती है नींद में चलने की बीमारी? एक्सपर्ट से समझें इसका कारण

Sleepwalking नींद में चलना वैसे एक साधारण समस्या नजर आती है लेकिन अगर समय रहते इसपर ध्यान न दिया जाए तो परिणाम गंभीर हो सकते हैं। इस विषय पर ज्यादा जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने मनोचिकित्सक से बात की और उनसे स्लीपवॉकिंग यानी नींद में चलने की बीमारी के कारण और उपचार के बारे में पूछा। आइये जानते हैं इसके बारे में।

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Sleepwalking: स्लीपवॉकिंग यानी नींद में चलने की बीमारी, जिसे आपने आज तक फिल्मों में देखा होगा। यह असल जिंदगी में भी लोगों को प्रभावित करती है। यह तब होती है जब कोई व्यक्ति सोते हुए पूरी तरह से चलता है या अजीबोगरीब गतिविधियां करता है। आमतौर पर गहरी नींद के दौरान होता है। यह रात के शुरुआती हिस्से में चरम पर होता है, इसलिए नींद में चलने की समस्या आमतौर पर सोने के बाद पहले कुछ घंटों में होती है। यह समस्या है या एक आदत, साथ ही यह कितना गंभीर है और इसके कारण क्या है इन सबके बारे में हमने विस्तार से जानने के लिए बात की मैरेंगो एशिया हॉस्पिटल, फरीदाबाद की क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. जया सुकुल से।

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स्लीपवॉकिंग क्या है?

स्लीपवॉकिंग एक ऐसी बीमारी होती है, जो ब्रेन डिसऑर्डर की वजह से होती है। इसके साइकैट्रिक और न्यूरोलॉजिकल दोनों रूप होते हैं। इसमें व्यक्ति नींद में उठकर चलने फिरने लगता है। डॉ. का कहना है कि नींद में चलना किसी भी उम्र में शुरू हो सकता है लेकिन बच्चों में यह अधिक आम है। वहीं, अधिकांश मामलों में यह युवावस्था तक पहुंचते-पहुंचते खत्म हो जाता है, लेकिन कभी-कभी यह वयस्कता तक भी बना रह सकता है। वहीं, कुछ लोगों में यह आदत बड़े होने के बाद शुरू होती है, जिसके कुछ गंभीर कारण हो सकते हैं, हालांकि इसका इलाज मौजूद है।

स्लीपवॉकिंग का कारण क्या है?

नींद में चलने की आदत के कई मुख्य कारण हो सकते हैं, जिसमें से एक पर्याप्त नींद न ले पाना है। हालांकि, इसमें कोई घबराने वाली बात नहीं है। साइकोलॉजिस्ट के मुताबिक ऐसे लोग, जो नींद में उठकर चलने लगते हैं वह एक नॉर्मल व्यक्ति की ही तरह अपना जीवन जीते हैं। लेकिन अगर यह लगातार हो रहा हो या फिर नींद में चलने की वजह से खुद को या किसी और को नुकसान पहुंचा रहे हों, तो उस स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

  • डॉ. जया बताती हैं कि यह मायने नहीं रखता कि आप कितने घंटे सो रहे हैं, बल्कि नींद की गुणवत्ता मायने रखती है। इसलिए भले ही कुछ ही घंटे सोएं लेकिन गहरी नींद लें।
  • इसके अलावा कुछ लोग, जो ज्यादा ट्रैवल करते हैं और नींद नहीं ले पाते उनमें भी यह समस्या हो सकती है।
  • वहीं, बच्चों में बीमारी के कारण चिड़चिड़ापन होता है, जिसके कारण उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती। यह भी एक वजह हो सकती है।
  • कुछ लोगों में कुछ खास तरह की दवाइयों के असर के कारण या एंग्जाइटी की वजह से भी नींद में चलने की समस्या हो सकती है।

स्लीपवॉकिंग का इलाज क्या है?

नींद में चलने के लिए कोई विशेष इलाज नहीं है, लेकिन आम तौर पर पर्याप्त नींद लेने और सोने से पहले एक नियमित और आरामदायक दिनचर्या अपनाने से इसमें मदद मिल सकती है।

  • सोने का समय निश्चित करें और उसे हर रोज अपनाएं।
  • अपने सोने की जगह पर शांति और अंधेरा रखें, जिससे आपकी नींद बाधित न हो।
  • सोने से पहले कुछ खास तरह के ड्रिंक्स जैसे कैफीन न पिएं और सोने से पहले शौचालय जाएं।
  • बिस्तर पर जाने से पहले शरीर को आराम देने वाले तरीके ढूंढें, जैसे गर्म पानी से स्नान करना, किताबें पढ़ना या गहरी सांस लेना
  • अगर बच्चे में यह समस्या है, तो उसे सामान्य रूप से नींद में चलने से 15 से 30 मिनट पहले धीरे से थोड़े समय के लिए जगाने की कोशिश करें। इससे उसके स्लीप साइकल में बदलाव करके उसे नींद में चलने से रोका जा सकता है।